गोरखपुर, 07 अप्रेल। गोरखनाथ मंदिर में जिहाद के इरादे से घुसे आतंकी अहमद मुर्तजा अब्बासी के जिहादी ज़ेहन से आतंकवाद के नित नए छिलके उतर रहे हैं। प्रमाण मिल जाने के बाद उसे पागल कह कर बचाव करने वालों के मुंह भी बंद हो गए हैं। अब मुर्तजा के बारे में पता चला है कि विद्यालयीन समय से ही उसके मन में जिहाद का कीड़ा पनप गया था। मुंबई के IIT से केमिकल इंजिनियरिंग करने तक यह कीड़ा उसके ज़ेहन को आतंकी बना चुका था। परिजन ने निकाह कराया तब मुर्तजा को अहसास हुआ कि वह तो समलैंगिक है। तीन माह बाद मायके चली गई पत्नी को मुर्तजा ने मोबाइल पर ही तीन तलाक दे दिए थे।

विद्यालय में ही घुस गया था ज़िहाद का कीड़ा, IIT मुंबई में पूरी तरह पुष्ट हो गया

गोरखनाथ मंदिर पर आक्रमण करने के प्रयास में पकड़ गए जिहादी अहमद मुर्तजा अब्बासी से अन्वेषणकर्ताओं को नित नई चौंकाने वाली जानकारियां मिल रही है। उजागर हुआ है कि मुर्तजा जिहाद की पौधशाला तैयार कर रहा था। पुलिस की गिरफ्त में आने से पहले तक मुर्तजा ने कई बैंक खातों में लाखों रुपये भेजकर आतंकियों को वित्तीय सहायता भेजी थी। उत्तरप्रदेश एटीएस को मुंबई में ताज हाइट्स प्लाट नंबर 69 नवी मुंबई का पासपोर्ट भी मिला है।

गोरखपुर के अब्बासी नर्सिंग होम में जन्मा 31 वर्षीय मुर्तजा केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान ही कट्टरपंथी विचारों की वजह से आतंकवाद की ओर बढ़ गया था। अन्वेषणकर्ताओं के अनुसार किसी आतंकी के मरने पर खुशी मनाने वाले साथियों पर मुर्तजा क्रोधित हो उठता था। मुर्तजा का विचार है कि मुस्लिम समुदाय को पूरी दुनिया परेशान कर रही है। पूछताछ में मुर्तजा ने बताया कि 2017 में इंटरनेट पर कंप्यूटर प्रोग्रामिंग सीखने लगा। यहीं उसको ऐसे विचार आने लगे कि वो जन्नत में है, अल्लाह उससे खफा है।

निकाह के बाद अहसास हुआ कि वह समलैंगिक हैं, मायके गई पत्नी 

जून 2019 में मुर्तजा की शादी जौनपुर के कटघरा निवासी लड़की से हुई। इसके बाद मुर्तजा को अहसास हुआ कि वह समलैंगिक है। जब ये बातें घरवालों को पता चलीं, तो उन्होंने इलाज कराना शुरू कराया। डॉक्टरों ने इसे हाइपोमेनिया बीमारी बताया। निकाह के तीन महीने बाद बीबी मायके चली गई। मुर्तजा ने मोबाइल फोन से ही तीन तलाक दे दिए। जनवरी 2020 से वह हाईटेक कंप्यूटर कोडिंग सीखने लगा। इसी दौरान एक बार फिर सीरिया के लोगों के संपर्क में आया। उनसे प्रभावित होकर आठ लाख रुपये नेपाली खातों से उन्हें भेज दिए।

नेपाल सीमा के मदरसों में भी मिली ज़िहाद की तालीम

अपनी कट्टरपंथी विचारधारा के चलते वह जिहादी मानसिकता का हो गया। इस बीच नेपाल सीमा पर स्थित संदिग्ध मदरसों में जाकर तकरीरें सुनने लगा। उसने मुजाहिद बनने की ठान ली, उसे लगता है कि अल्लाह की राह पर चलने का एक मात्र रास्ता काफिरों का सफाया ही है। मुर्तजा आतंकी और कट्टरपंथियों के वीडियो देखकर उन्हें फॉलो करने लगा। जिहादी तकरीरें को सुनकर वह इंटरनेट के माध्यम से आईएसआईएस और गज़वा-वा-तुल-अंसार जैसे आतंकी संगठनों से जुड़ गया, और मुंबई, जामनगर, नेपाल और कोयंबटूर जैसे शहरोंसमेत देशभर में घूमने लगा। 

विदेशी सिम से पे-पल पर भेजता था जिहादी इमदाद

अहमद मुर्तजा अब्बासी ने आतंकी संगठनों से बात करने के लिए विदेशी कंपनी की समिल ली और उसी पर पे-पल इंस्टॉल कर इसके जरिए लोगों को पैसे भेजने लगा। ज्ञातव्य है कि पे-पल के माध्यम से विश्व में कहीं भी धन भेजा जा सकता है।

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