आखिर क्या है ख़बर ख़बरों की….?
रोजमर्रा की ख़बरें हम रोज पढ़ते ही हैं, हर अख़बार में सोशल मीडिया में असंख्य न्यूज पोर्टल्स में, और ढर्रा वही कट-कॉपी-पेस्ट। जहां पढ़ो सब एक जैसा, ख़बरें वही रहती हैं, सूचना सबमें एक ही होती है। पाठकों को इसी एकरसता से निज़ात दिलाना है ‘ख़बर ख़बरों की” पोर्टल का मक़सद।
हर ख़बर में कुछ ऐसा छिपा रहता है जो उसकी उत्पत्ति का बयान होता है, जिसे आज ‘News From Ground Zero’ बोलने का फैशन चल रहा है। ‘ख़बर ख़बरों की” में हर खबर में ‘हैंडिंग से लेकर कन्क्लूजन’ तक वह खोज कर देते हैं जो महज सूचना से कुछ परे होता है। हमारा इस न्यूज पोर्टल शुरू करने का मक़सद ही इस नए संवाद माध्यम को पाठकों को ग्राहक से कुछ ऊपर समझते हुए उसे न्यू-मीडिया का विद्यार्थी भी बना दें, ताकि वह ख़बरों के पीछे छिपी ख़बर को पहचान कर पारंपरिक संवाद माध्यमों के सरोकारों के साथ ही चालाकियों को भी समझ पाए।
हमारा मक़सद यह भी है कि हम पुनः संवाद माध्यमों के उस सरोकार को वापस लाएं जो उसके भाषा के प्रति कर्त्तव्यों में निहित है। हम पाठक के उस विश्वास को दोबारा बहाल करना चाहते हैं ताकि संवाद माध्यम में भाषा की सरलता-तरलता के साथ ही मानकों की संस्थापना हो सके। ‘ख़बर ख़बरों की” में हमारा प्रयास रहता है कि भाषा का विद्यार्थी संवाद माध्यम को पढ़े तो उसे सीखने को अवश्य मिले।
फिलहाल हम ग्वालियर-चंबल औऱ मध्यप्रदेश पर फोकस कर रहे हैं, लेकिन जल्द ही हम अपना विस्तार राष्ट्रीय फलक पर भी करेंगे। हालांकि हमारी फिलॉसफी और ख़बर का परिप्रेक्ष्य GLOCAL यानी Global Vision With Local Perspective ही बना रहेगा।
मैं उमेश सिंह रीवा सैनिक स्कूल में पला बढ़ा, अभिभावक मुझे सेना में अफ़सर बने देखना चाहते थे, लेकिन अंग्रेजी भाषा और सामाजिक सरोकारो के प्रति मेरा रुझान मुझे पत्रकारिता में खींच लाया। पत्रकारिता की शुरुआत मैंने अंग्रेजी दैनिक ‘Hindustan Times’ के साथ की। घर से खाता-पीता होने की वजह से पत्रकारिता मेरे लिए कभी आजीविका का साधन नहीं रही। मेरी पारिवारिक पृष्ठभूमि की वजह से मैं पत्रकारिता के ज़रिये सामाजिक सरोकारों से जुड़ी पत्रकारिता ही की। पत्रकारिता के दौरान यूं तो मैने हर तरह की खबरों की रिपोर्टिंग की, लेकिन ख़ासतौर पर पर्यावरण, वन्यजीव और वन्य संरक्षण से जुड़े विषयों में मेरा विशेष उत्साह रहा। अपनी इसी अभिरुचि की वजह से मैने मध्यप्रदेश के ज्यादातर संरक्षित वनों और अभयारण्यों को बतौर सैलानी और पत्रकार भ्रमण किया। अपने इन्हीं सरोकारों का निर्वाह करने के उद्देश्य से मैने अपने जैसी ही मानसिकाता और विचारों के कुछ साथी पत्रकारों के साथ मिलकर एक न्यूज-पोर्टल ‘ख़बर ख़बरों की’ का संचालन शुरू किया है।
मेरा नाम पुष्पेन्द्र है, मैं सौभाग्यशाली हूं कि मेरा नामकरण संयोगवश ग्वालियर-चंबल में पत्रकारिता के लीजेंड माने जाने वाले मामा माणिकचंद्र वाजपेयी जी ने किया था। शायद यही संयोग मुझे माइक्रोसॉफ्ट सर्टिफाइड कंप्यूटर प्रोफेशनल और मानव संसाधन प्रबंधन में स्नातकोत्तर होने के बावजूद पत्रकारिता में ले आया। जन्म से ही मेरा भाषाओं, साहित्य और संप्रेषण कलाओं की तरफ रुझान हो गया था। इन्हीं अभिरुचियों की वजह से मेरी निकटता हिंदी, संस्कृत, उर्दू और अंग्रेजी से होती गई। विद्यालय-महाविद्यालयों के वार्षिकांकों ने मेरे लेखन को परिष्क्रत किया, परिणामस्वरूप मेरी पहली कविता उस दौर की शीर्ष साहित्यिक मैग्जून ‘नवनीत’ में प्रकाशित हो गई। युवा मह्त्वाकांक्षाएं और कैरियार का मुझे प्रबंधन शिक्षा की ओर खींच ले गईं, और मैने एक बहुराष्ट्रीय कंपनी के साथ कैरियर की शुरुआत की। मेरी अध्ययनशीलता और विभिन्न विषयों के अध्ययन की आवारगी ने मुझे भटकाया जरूर, लेकिन सिखाया भी बहुत। यही अनुभव मुझ संयोगवश मिले पत्रकारिता के कैरियर में बहुत काम आया। मैने ZEE News से शुरू कर अपने समय के कई शीर्षस्थ संवाद माध्यमों और संवाद की हर प्रचलित विधा में काम किया। ZEE News के बाद मैं अपने समय के सबसे बड़े न्यूज नेटवर्क ETV के लिए ग्वालियर का ब्यूरो प्रभारी बना दिया गया। यहां मेरी सामाजिक सरोकारों से जुड़ी पत्रकारिता ने मुझे मैथिलीशरण गुप्त राष्ट्रीय पत्रकारिता सम्मान के साथ कई स्थानीय, आंचलिक और प्रादेशिक सम्मानों का सौभाग्य दिलाया। हालांकि मैं सबसे बड़ा सम्मान उसे मानता हूं जो मुझे ETV News के चेयरमैन श्रद्धेय रामोजी राव जी ने दिया था। उन्होंने समूह की एक नियमित बैठक में मेरी रिपोर्ट को औपचारिक रूप से प्रशंसित करते हुए लिखा कि ‘His Reports are the best amongst the ETV reports I have ever seen’। इसके साथ ही ETV ने मुझे लगातार दो प्रमोशन देकर भी मेरा काम की प्रशंसा की। कुछ निजी कारणों से मैंने इस प्रतिष्ठित संस्थान को छोड़ा और कैरियर के दूसरे आयाम में प्रवेश किया। मैने देश के नामचीन राजस्थान पत्रिका समूह के साथ उनके ग्वालियर ब्यूरो की शुरुआत की। इस दौरान मैने पत्रकारिता के साथ ही समूह को मध्यप्रदेश के ग्वालियर में संस्करण प्रकाशित करने के पहले की सारी प्रक्रियाओं में अपना योगदान दिया। यहां मेरा प्रबंधन का अध्ययन और अनुभव काम आया औऱ ‘पत्रिका’ का ग्वालियर संस्करण का प्रकाशन प्रारंभ हो गया। इसके बाद मैने विशेष संवाददाता के तौर पर पत्रिका के ख़बर अभियानों का नेतृत्व किया। मेरे ऐसे ही एक अभियान ‘बेला गांव का दर्द’ ने ग्वालियर संस्करण को बड़ा ब्रैक दिया। इस अभियान की वजह से पूर्व प्रधानमंत्री के भांजे और मध्यप्रदेश भाजपा के कद्दावर मंत्री अनूप मिश्रा को इस्तीफा देना पड़ा। पत्रिका के बाद मैं बंसल न्यूज स्टेट ब्यूरो चीफ, Eenady Digital अब (ईटीवी भारत) का मध्यप्रदेश चीफ रिपोर्टर भी रहा। इसके बाद मैने दैनिक भास्कर के New Media वेंचर DB Digital (bhaskar.com) के न्यूज पोर्टल के Hyper Local ग्वालियर स्टेशन की लांचिग के साथ ही ग्वालियर होमपेज को एक माह में 1.25 करोड़ पेज-व्यू की ऊंचाइयों तक पहुंचाया। हाल ही में मैने पारवारिक कारणों से दैनिक भास्कर के पदोन्नति अवसर को छोड़ कर इस्तीफा दे दिया और अपने सामाजिक सरोकारों की पूर्ति हेतु ‘ख़बर ख़बरों की’ न्यूज पोर्टल की शुरुआत अपने ही समान मानसिकता के साथियों के साथ मिलकर की।
मैं महेश शिवहरे
पिछले 28 सालों से पत्रकारिता को ही अपना मुख्य व्यवसाय मानकर चौथे स्तंभ के मिशन
में जुड़ा हुआ हूं। ग्वालियर के पहले सांध्य समाचार से पत्रकारिता शुरू की थी, तब से दैनिक देशबंधु (भोपाल), दैनिक आचरण, दैनिक नवप्रभात, दैनिक हिंदू सम्वृद्धि, दैनिक राज
एक्सप्रेस में बतौर संवाददात काम किया। साल 2002 से मैं देश के सबसे बड़े न्यूज
नेटवर्क ईटीवी से जुड़ा हुआ हूं। हाल में ईटीवी समूह ने अपने डिजिटर संस्करण की
शुरूआत ‘ईटीवी भारत’ के नाम से की है,तब
से मैं यहां भी संवाददाता हूँ। इसके साथ ही ख़बर ख़बरों की न्यूज़ पोर्टल से भी
जुड़ कर काम कर रहा हूं।