कार्यपरिषद सदस्यों ने लगाए करोड़ों की हेराफेरी के आरोप, उच्चशिक्षा मंत्री का करेंगे घेराव
ग्वालियर, 06 दिसंबर। पहले कार्यकाल से ही चर्चाओं में रहे जीवाजी विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ.आनंद मिश्र अपने तीसरे कार्यकाल में भी विवादों में घिरते नजर आ रहे हैं। हाल में निर्मित अकादमिक भवन में वित्तीय गड़बड़ियों के आरोपों के साथ जब कार्यपरिषद के सदस्यों ने संबंधित दस्तावेज मांगे तो कुलसचिव ने साफ इनकार कर दिया। कुलसचिव के कक्ष में कार्यपरिषद सदस्यों से विवाद हुआ तो कुलसचिव ने झल्लाकर कहा कि वह अक्षम अधिकारी हैं, कार्यपरिषद सदस्य चाहें तो उनके विरुद्ध कार्यवाही करा दें। वित्तीय हेराफेरी के आरोप लगे तो कुल सचिव कहने लगे मैं इस्तीफा दे दूंगा….
सोमवार को विश्वविद्यालय के जिस अकादमिक भवन का उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव लोकार्पण करेंगे, उसके निर्माण में करीब सवा करोड़ रुपए के भुगतान को लेकर सदस्यों ने कुलसचिव आनंद मिश्रा को उनके चेंबर में ही घेर लिया। कार्य परिषद के सदस्य मनेंद्र सोलंकी, अनूप अग्रवाल, संगीता कटारे और शिवेंद्र राठौर ने रजिस्ट्रार मिश्रा से भवन निर्माण संबंधी फाइल तलब की, तो कुलसचिव ने साफ इंकार कर दिया। इस पर कार्य परिषद के सदस्यों और रजिस्ट्रार के बीच जमकर विवाद हुआ। खुद को अक्षम ठहराए जाने पर कुलसचिव ने कहा, ‘हां मैं अक्षम हूं, आप मेरे विरुद्ध कार्यवाही करा दें’। कुलसचिव को यह कहते भी सुना गया कि वह परेशान हो गए हैं, और इस्तीफा दे देंगे।
कम दरों पर गुपचुप दे दिया करोड़ों का ठेका, कार्यपरिषद में अनुमोदन के बिना ही भुगतान भी करा दिया
राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान यानी रूसा ने अकादमिक भवन के लिए साढे़ सात करोड़ की राशि आवंटित हुई थी कार्यपरिषद के सदस्यों का कहना है कि विश्वविद्यालय के जिम्मेदार लोगों ने अपने ठेकेदार को निर्धारित मानकों से 19 प्रतिशत कम दरों में यह काम दे दिया। हालांकि बाद में परियोजना क्रियान्वयन इकाई के मुख्य अभियंता ने अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए इसमें 20 प्रतिशत की वृद्धि कर दी। कार्यपरिषद के सदस्यों के अनुसार कि एक करोड़ 30 लाख की राशि का भुगतान ठेकेदार को गुपचुप कर दिया गया। जबकि प्रावधान यह है कि इसके लिए कार्यपरिषद की बैठक में अनुमोदन लिया जाना अनिवार्य है। कार्यपरिषद सदस्यों ने निराशा प्रकट करते हुए कहा कि कुलसचिव के कक्ष में काफी देर तक हो हल्ला होने के बाद भी उन्हें मामले के दस्तावेज देना तो दूर कोई इस संबंध में बताने तक को तैयार नहीं हुआ। कार्यपरिषद सदस्य अनूप अग्रवाल ने कुलसचिव पर राजनीतिक संरक्षण का आरोप भी लगाया। कुलसचिव ने भी इस संबंध में संवाद माध्यमों को किसी भी तरह का जवाब देने या पक्ष रखने में असमर्थता व्यक्त की।