ग्वालियर। आजादी के बाद PM बने जवाहरलाल नेहरू ग्वालियर आए, उनकी सभा में महाराज सिंधिया जिंदाबाद के नारे तो लगे, लेकिन लोगों ने नेहरू जिंदाबाद नहीं कहा। नतीजतन नेहरू नाराज हो गए और ग्वालियर की जनता को खूब खरी खोटी सुनाईं। इस घटना से नेहरू जी की नाराजगी ग्वालियर के महाराज के प्रति लंबे समय तक बनी रही।

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की जयंती पर उनकी ग्वालियर प्रवास का एक रोचक प्रसंग, ग्वालियर की जनता से हो गए थे नाराज….

देश के स्वतंत्र  होने के बाद प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ग्वालियर आए और उन्होंने मध्यभारत प्रांत के राज प्रमुख के रूप में महाराज जीवाजीराव सिंधिया को शपथ दिलाई। इसके बाद ग्वालियर में एक सभा में दोनों ने लोगों को संबोधित किया। पहले जीवाजीराव सिंधिया ने संबोधित किया तो लोगों ने जमकर महाराजा सिंधिया जिंदाबाद के नारे लगाए। बाद में प्रधानमंत्री नेहरू ने जैसे ही बोलना शुरू किया, लोग चुप हो गए। जनता का यह रवैया नेहरू को पसंद नहीं आया, और उन्होंने तुरंत कहा कि समय बदल गया है, और लोगों को अब सच स्वीकार करना चाहिए कि देश में लोकतंत्र आ गया है।  

जिंदाबाद के नारे नहीं लगे तो नाराज नेहरू ने जनता को सुनाई खरीखोटी

भआग्वालियर की जनता को खरीखोटी सुनाते हुए नेहरू ने कहा, मैं जहां जाता हूं मुझे सुनने के लिए उतावले रहते हैं। यहां की जनता न जाने किस दौर में जी रही है। इस घटना का जिक्र विजयाराजे सिंधिया ने अपनी आत्मकथा में किया है। इस घटना का परिणाम यह हुआ कि प्रधानमंत्री नेहरू और ग्वालियर रियासत के संबंधों में लंबे समय तक खटास बनी रही।

इस घटना के बाद महाराजा जीवाजी राव सिंधिया को भूल का अहसास हुआ, और उन्होंने व्यवस्था कर दी थी। इसके बाद जब भी कोई कांग्रेसी नेता ग्वालियर आता था तो सौ-डेढ़ सौ लोग मंच के पास बिठा दिए जाएं थे। ये लोग तालियां बजाकर मेहमान के जिंदाबाद के नारे लगाते रहते थे।

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