




लॉकडाउन बना ऐश्वर्या का शत्रु, स्कॉलरशिप रुकीं, ऑनलाइन क्लासेज के लिए लेपटॉप नहीं, कॉलेज से मिले नोटिस तो करनी पड़ी आत्महत्या
दिल्ली, 09 नवंबर। देश के नामी शिक्षण संस्थानों में शुमार दिल्ली के लेडी श्रीराम (LSR) कॉलेज की विद्यार्थी ऐश्वर्या की आत्महत्या शिक्षा तंत्र के लिए लज्जाजनक है। उसके सुसाइड नोट पढ़कर देश भर के माता-पिता जार-जार रो पड़ेंगे। आर्थिक बेबसी का वर्णन करते हुए उसने जो लिखा उससे ज़ाहिर हुआ है कि एक योग्य विद्यार्थी के सपनों को तंत्र की असफलता ने बेरहमी से तोड़ दिया। वह हरहाल में पढ़ना चाहती थी, लेकिन लॉकडाउन के चलते उसे मिलने वाली ‘इंस्पाइर’ स्कॉलरशिप नहीं मिल सकी। आर्थिक विवशता में वह लैपटॉप नहीं ख़रीद सकी औऱ ऑनलाइन कक्षाओं और प्रायोगि कक्षाओं में शामिल नही हो पाने की हताशा ने हमेशा अव्वल रहने वाली ऐश्वर्या के लिए अत्महत्या को एक मात्र विकल्र्प बना दिया। ऐश्वर्या का सपना भारतीय प्रशासनिक अधिकारी (IAS) बनने का था। ‘इंस्पायर’ की स्कॉलरशिप रुकी, सोनू सूद से भी नहीं मिली मदद, कॉलेज से नोटिस भी मिलने लगे तब चुना आत्महत्या का मार्ग…..
तीन नवंबर को तेलंगाना के रंगारेड्डी जिले की ऐश्ववर्य ने दिल्ली में आत्महत्या कर ली। हैदराबाद में टेलरिंग और ऑटो रिपेयर कर गुजर-बसर करने वाले उसके माता-पिता ने अपना घर गिरवी रख कर बेटी के सपनों को उड़ान दी और उसे दिल्ली के LSR कॉलेज में दाखिला दिलवाया। खुद किराए के घर में रहकर वह बेटी को IAS बना देखनी की जिजीविषा को पूरा करने में जुटे थे। तभी कोरोना एक दानव की तरह देश के जनजीवन पर छा गया। माता-पिता की आमदनी छिनी, मार्च में मिलने वाली ‘इंस्पायर’ अवार्ड की स्कालरशिप रुक गई। उसने लॉक-डाउन मसीहा बने सोनू सूद को भी पत्र लिखकर मदद मांगी। सोनू सूद को लिखे पत्र में ऐश्वर्या ने लिखा था कि लैपटॉप के बिना वह ऑनलाइन कक्षाएं नहीं कर पा रही थी, साथ ही उसके प्रैक्टिकल भी नहीं हो पा रहे थे। कहीं से मदद मिलना तो दूर कॉलेज प्रबंधन ने उसे छात्रावास का शुल्क अदा करने के लिए नोटिस भी दिए।
माता-पिता से मांगी माफी
तेलंगाना के रंगारेड्डी जिले की रहने वाली ऐश्यर्या ने अपने सुसाइड नोट में लिखा है-‘मुझे माफ कर देना। मैं एक अच्छी बेटी नहीं बन सकी।’ ऑटो मैकेनिक श्रीनिवास रेड्डी और कपड़े सिलने का काम करने वाली सुमति की बेटी ऐश्यर्या IAS बनना चाहती थी। विद्यालयीन शिक्षा में हमेशा अव्वल रही ऐश्वर्या के सपने को पूरा करने माता-पिता ने अपना घर गिरवी रख कर किराए छोटे से कमरे में रह कर संघर्ष जारी रखा। उसे देश के मशहूर LSR कॉलेज में प्रवेश मिल गया। तभी कोरोना फैला और लॉकडाउन ने परिवार की आर्थिक स्थिति तहस-नहस कर दी। उसे केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय से इंस्पायर फेलोशिप मिलनी थी। नियम के मुताबिक मार्च में फेलोशिप मिल जाना चाहिए थी जो लॉकडाउन के कारण रुक गई।
एश्वर्या ने सुसाइड नोट में लिखा–मैं पढ़ाई के बिना जिंदा नहीं रह सकती
‘मेरी मौत के लिए कोई जिम्मेदार नहीं है। मैं अपने परिवार पर बोझ नहीं बनना चाहती हूं। मैं पढ़ाई के बिना जिंदा नहीं रह सकती हूं, मैं इसके बारे में सोच रही थी और अब मुझे लगता हैं कि मौत ही मेरी लिए एक मात्र रास्ता रह गया है। मम्मी-पापा मुझे माफ करें, मैं अच्छी बेटी नहीं बन सकी। ज्ञातव्य है कि ऐश्वर्या लेडी श्रीराम कॉलेज में बीएससी गणित द्वितीय वर्ष की विद्यार्थी थी। आर्थिक तंगी के चलते उसने 3 नवंबर को आत्महत्या कर ली थी\, नौ नवंबर को उसके सुसाइड-नोट का खुलासा हुआ।
माता-पिता से कहती, कॉलेज प्रबंधन को सारी बात बाताती तो मिलती मदद
इस पूरे मसले पर लेडी श्री राम कॉलेज की प्राचार्या प्रो. सुमन शर्मा ने कहा कि मंत्रालय फेलोशिप द्वितीय वर्ष में देता है। हालांकि फेलोशिप के अलावा भी कॉलेज में कई अन्य समितियां हैं, जहां यदि वह अपनी बात रखती तो हम सब साथ खड़े होते। छात्रा ने कभी भी किसी से आर्थिक परेशानी की बात साझा नहीं की। कोरोना काल में छात्राओं की परेशानी समझते हुए ही काउंसिलिंग की सुविधा शुरू की गई थी। प्राचार्या प्रो. शर्मा नें बताया कि ऐश्वर्या की मां से उनकी बात हुई, लेकिन उन्हें भी इस संबंध में बेटी ने कुछ नहीं बताया था।