नई दिल्ली, 28 अक्टूबर। उत्तरप्रदेश के कई हिस्से, हरियाणा का मेवात इलाका और दक्षिण भारतीय शहर तो लंबे समय से लव जिहाद की राजधानी बने हुए हैं। अब इस तरह के ज़िहादियों के हौसले देश की राजधानी दिल्ली की सरहदों में भी दुस्साहस की हद तक जा पहुंचे हैं। तीन साल पहले इसी गुण्डे ने निकिता का अपहरण किया था,पुलिस को शिकायत भी की गई थी, लेकिन पुलिस ने अपहरणकर्ता को सजा न देकर पंचायत बैठा कर सुलह करा दी थी। उसी वक्त इसकी अपराधी मानसिकता का फन कुचल दिया जाता तो शायद निकिता के फौजी अफसर बनने के सपने की सरेआम हत्या न हुई होती।
डर था कि किसी हिंदू परिवार की न हो जाए लव-ज़िहाद की टार्गेट
देश की राजधानी दिल्ली से सटे हरियाणा के बल्लभगढ़ में दिनदहाड़े कॉलेज के सामने एक विद्यार्थी के अपहरण की कोशिश में नाकाम रहने पर उसकी हत्या कर दी। वारदात में मौत एक निकिता की नहीं, बल्कि उसके सपनों और देश के स्वर्णिम भविष्य की हुई है।
लोग मान रहे हैं कि यह सिर्फ एक सनकी युवक के डर और असुरक्षा की भावना के चलते हुआ है, लेकिन सच है है कि 2018 में भी निकिता का अपहरण करने वाले तौसीफ और पंचायत में निकिता का पीछा छोड़ने पर राजी हो जाने वाला तौसीफ का सियासी रसूख वाला परिवार, उसके बाद भी निकिता को धर्म बदलकर तौसीफ से निकाह करने का दबाव बना रहे थे। इस परिवार को डर था कि BCom होते ही निकिता की शादी किसी हिंदू परिवार में करा दी जाएगी और लव ज़िहाद का उनका मक़सद अधूरा रह जाएगा।
परिजन कर रहे थे BCom के बाद निकिता की जल्द शादी की तैयारी
निकिता के परिजनों ने बताया है कि वह BCom पूरा होते ही निकिता की शादी की तैयारी कर रहै थे। इसकी भनक तौसीफ के परिवार को लग गई थी, इसीलिए तौसीफ की मां ने निकिता को फोन पर धर्म बदलकर अपने बेटे से निकाह का दबाव बनाया था, लेकिन फौजी अफसर बनने की तौयारी कर रही निकिता इनके मंसूबे भांप चुकी थी और जाल में फंस नहीं रही थी। नतीजतन तौसीफ ने मां की शह पर दोबारा निकिता के अपहरण की साजिश रची, और नाकाम रहने पर किसी हिंदू लड़के से निकिता की शादी न हो जाए इसलिए उसे मार डाला।
पहले अपराध पर ही पुलिस करती कड़ी कार्रवाई तो जिंदा रहता निकिता का सपना
तीन साल पहले तौसीफ ने शादी की नीयत से उसका अपहरण भी कर लिया था। आरोपी की मां भी निकिता के दिमाग में धर्म बदलकर तौसीफ से निकाह का बनाए हुई थी कि तुम तौसीफ से शादी कर लो। सारे दबाव झेलने के बाद भी स्कूल व कॉलेज में लगातार टॉप करती रही। उसे फौजी अफ़सर बनने की धुन सवार थी। अब दो साल बाद बेटी का जो हाल हुआ उसके बाद से परिवार बुरी तरह टूट गया है। उन्हें बस एक ही पछतावा है कि अगर दो साल पहले तौसीफ पर कार्रवाई की गई होती तो आज उनकी बेटी उनके साथ होती और शायद आगे चलकर देश को एक काबिल फौजी अफसर मिलता।