ग्वालियर, 28 अक्टूबर। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ ने दो दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के वेतन और कैरियर की राशि का 5 साल तक भुगतान नहीं करने पर पीएचई के प्रमुख अभियंता और मुख्य अभियंता पर 25-25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। उच्च न्यायालय ने आदेश दिया है कि इन रुपयों में से 15 -15 हजार रुपए दोनों कर्मचारियों को हर्जाने के रूप में दिए जाएं। जबकि शेष राशि को सिविल डिस्पेंसरी मुरार को विकास कार्यों के लिए सौंपी जाए।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी में खलासी के पद पर कार्यरत रामदास कुशवाहा और मैकेनिक गोपाल कुशवाहा ने अपने लंबित भुगतान के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। जिस पर मई 2011 में उच्च न्यायालय ने आदेश दिए थे कि दोनों ही कर्मचारियों को 2004 से नियमित भुगतान और उनके एरियर का भुगतान किया जाए। दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के लंबित भुगतान को लेकर राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में SLP दायर की, जिसे 2015 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निरस्त कर दिया गया। दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के लंबित मामलों में उन्हें नियमितीकरण का लाभ देने एवं एरियर का भुगतान करने के निर्देश दिए गए। इसके बावजूद 5 सालों से दोनों ही कर्मचारियों को लंबित भुगतान नहीं हो पा रहा था जिसे लेकर दोनों ने उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दायर की। याचिका कर्ताओं के वकील देवेश शर्मा ने बताया कि सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने पीएचई के प्रमुख अभियंता और मुख्य अभियंता पर 25-25 हजार रुपए की कास्ट लगाई है, और उन्हें 1 महीने के भीतर इसका भुगतान करने के निर्देश दिए हैं उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद दोनों कर्मचारियों को साढ़े तीन लाख और साढ़े पांच लाख रुपए का भुगतान किया गया है।