ग्वालियर, 21 अक्टूबर। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ ने 21 अक्टूबर को निर्देश जारी कर प्रशासन से कहा है कि राजनीतिक दलों को किसी तरह की रैली जुलूस अथवा आमसभा नहीं करने दी जाए। इसकी जगह पर आधुनिक संचार तकनीक की मदद से वर्चुअल मीटिंग्स आयोजित की जाएं। उच्च न्यायालय के आदेश पर अमल करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी सभी प्रस्तावित सभाओं को निरस्त कर दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि वह इस संबंध में उच्चतम न्यायालय में अपील करेंगे। हालांकि राजानीतिक दलों ने उच्च न्यायालय के आदेशों को गंभीरता से नहीं लिया है, और सभाए जारी हैं।
उच्च न्यायालय ने कहा–बंद करें भीड़ भरे आयोजन
ज्ञातव्य है कि कोरोना काल में विधानसभा उपचुनाव के प्रचार प्रसार में हो रहे राजनीतिक आयोजनों को लेकर एक जनहित याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई थी। याचिका की सुनवाई करते हुए मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ ने 3 अक्टूबर को निर्देश जारी किए थे कि गाइडलाइन का उल्लंघन करने वाले राजनीतिक दलों के खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम और भारतीय दंड विधान की धाराओं के तहत केस दर्ज किए जाएं।
इसके साथ ही उच्च न्यायालय ने प्रशासन को साफ निर्देश दिए हैं कि जब तक कोई राजनीतिक दल विशेष तौर पर कोविड-19 प्रोटोकोल्स का पालन सुनिश्चित कराते हुए किसी आयोजन में उपस्थिति की संख्या निर्दिष्ट करते हुए औपचारिक अनुमति न मांगे, मात्र वर्चुअल आयोजनों की अनुमति दी जाए। जहां वर्चुअल मीटिंग नहीं ली जा सकती है वहां कारण बताते हुए राजनीतिक दल जिला कलेक्टर को मीटिंग के लिए आवेदन सौंपेंगे कलेक्टर चुनाव आयोग की अनुमति के बाद ही राजनीतिक दलों को कार्यक्रमों की सशर्त अनुमति देगा। इसके लिए वहां मौजूद रहने वाले लोगों के लिए पर्याप्त सोशल डिस्टेंसिंग मास्क और सैनिटाइजर की व्यवस्था भी राजनैतिक दलों को करनी पड़ेगी और इसके लिए जिला प्रशासन के पास दोगुनी राशि के सैनिटाइजर और मास्क की कीमत जमा करनी होगी।