ग्वालियर, 11 अक्टूबर। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ में कोरोना गाइडलाइन के उल्लंघन को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि 19 अक्टूबर तक ऐसे राजनीतिक दलों, नेताओं, संस्थाओं और व्यक्तियों के विरुद्ध FIR दर्ज कराई जाए, जिन्होंने COVID-19  की गाइडलाइन का उल्लंघन किया है। ग्वालियर खंडपीठ की न्यायमूर्ति शील नागू और राजीव कुमार श्रीवास्तव की युगल पीठ ने सुनवाई करते हुए ग्वालियर के अनुविभागीय मजिस्ट्रेट को आदेश दिया है कि खंडपीठ के न्याय क्षेत्र में आने वाले सात जिलों के प्रशासकों को इस निर्देश के बारे में 14 अक्टूबर तक इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यमों से तत्काल सूचना भेज दी जाए। संज्ञेय अपराध मान प्रशासन करे कार्रवाई…..

ज्ञातव्य है कि उच्च न्यायालय ने 3 अक्टूबर को एक आदेश जारी करके कहा था कि कोविड-19 की गाइडलाइन का सरकार हर हाल में पालन कराए। जिसमें मास्क दो लोगों के बीच दो गज की दूरी को आवश्यक बताया गया है, लेकिन इसके बावजूद राजनीतिक कार्यक्रमों में सैकड़ों की संख्या में लोग उपस्थित हो रहे हैं। इस पर सोमवार को सुनवाई हुई और न्यायमूर्ति शील नागू व राजीव कुमार श्रीवास्तव की युगल पीठ का निर्देश मंगलवार को जारी हुआ। आदेश में कहा गया है कि COVID-19 गाइडलाइन के उल्लंघन को ललिता कुमारी विरुद्ध उत्तरप्रदेश सरकार वाली नजीर के आधार पर संज्ञेय अपराध मानते हुए कार्यवाही की जाए।

इनके विरुद्ध न्यायमित्र और याचिका कर्ताओ ने जुटाए हैं फोटो-वीडियो सुबूत

न्यायमित्र संजय द्विवेदी, राजीव शर्मा और विजयदत् शर्मा एवं याचिका कर्ता आशीष प्रताप सिंह ने केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, मुन्नालाल गोयल, प्रद्युम्न सिंह तोमर, सतीश सिकरवार, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, फूल सिंह बरैया, सुनील शर्मा  और रामनिवास रावत।

ज्ञात्व्य है कि मध्यप्रदेश हाईकोर्ट नें 7 जिलों के प्रशासनों को निर्देश दिया है कि 3 अक्टूबर से अब तक न्यायमित्र और याचिकाकर्ताओं ने जो भी प्रमाण प्रस्तुत किए हैं, उनकी तस्दीक करते हुए सभी संबंधित संस्थाओं और व्यक्तियों के विरुद्ध FIR दर्ज कर सारी कार्रवाई की जानकारी उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ में प्रस्तुत की जाए। ज्ञात्व्य है कि ग्वालियर के अधिवक्ता आशीष प्रताप सिंह ने एक जनहित याचिका हाईकोर्ट में दायर की है जिसमें राजनीतिक दलों के विरुद्ध आयोजनों में COVID-19 गाइडलाइन से ज्यादा भीड़ इकट्ठी करने और दूसरे मानकों का भी उल्लंघन करते हुए संक्रमण को फैलाने में सहायक होने का आरोप लगाया था। याचिका में कहा गया है कि उपचुनाव के मद्देनजर की गाइड लाइन का मजाक उड़ाया जा रहा है। जिसके कारण संक्रमण के ज्यादा फैलने का खतरा पैदा हो गया है।

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