-पूर्व पीएम शेख हसीना के लंदन में शरण मांगने का नहीं किया जिक्र

लंदन। बांग्लादेश में छात्रों के विरोध प्रदर्शनों के बाद पूर्व पीएम शेख हसीना को इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा। अब ब्रिटेन सरकार ने इसकी स्वतंत्र संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में जांच की मांग की है, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए थे। बांग्लादेश अब अंतरिम सरकार का इंतजार कर रहा है और सेना प्रमुख प्रदर्शनकारियों से मिलने की योजना बना रहे हैं, जिससे लगता है हिंसक विद्रोह के बाद बांग्लादेश में अब स्थिति सामान्य हो सकती है। इस आंदोलन ने शेख हसीना को सत्ता छोड़ने पर मजबूर कर दिया। जो 1971 के मुक्ति संग्राम में लड़ने वाले दिग्गजों के परिवारों के लिए विवादास्पद कोटा प्रणाली के साथ शुरू हुआ था, जिसमें युवा बेरोजगारी ज्यादा थी। जैसे-जैसे अशांति बढ़ती गई, सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने उनके आवास पर हमला बोल दिया उनके आवास परिसर में तोड़फोड़ और लूटपाट की।

हसीना ने सोमवार को इस्तीफा दे दिया और सैन्य हेलीकॉप्टर से देश छोड़कर भारत आ गईं। शेख हसीना ने भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मुलाकात की। लंदन जाने की योजना है लेकिन लंदन प्रशासन की ओर से उन्हें शरण देने के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई। ब्रिटेन के विदेश सचिव डेविड लैमी ने कहा कि ब्रिटेन बांग्लादेश में शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक भविष्य तय करने के लिए कार्रवाई देखना चाहता है, लेकिन उन्होंने शेख हसीना के आगमन का उल्लेख नहीं किया है। लैमी ने कहा बांग्लादेश में पिछले कई दिनों से हिंसा और जान-माल की हानि हुई है। सेना प्रमुख द्वारा एक संक्रमणकालीन अवधि की घोषणा की गई है। अब सभी पक्षों को हिंसा को खत्म करने, शांति बहाल करने, स्थिति को कम करने और किसी भी तरह की जान-माल की हानि को रोकने के लिए मिलकर काम करने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के लोग पिछले कुछ हफ्तों में अराजक स्थिति की पूर्ण और स्वतंत्र संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व वाली जांच के हकदार हैं, जहां आरक्षण प्रणाली के खिलाफ आंदोलन हिंसक सरकार विरोधी प्रदर्शनों में बदल गया। लैमी ने इस बात पर भी जोर दिया कि ब्रिटेन और बांग्लादेश के लोगों के बीच गहरे संबंध हैं और राष्ट्रमंडल के मूल्य साझा हैं। इस बीच अमेरिका ने कहा कि वह स्थिति पर बारीकी से नज़र रख रहा है और आग्रह करता है कि शेख हसीना के जल्दबाजी में इस्तीफ़े के बाद वहां अंतरिम सरकार का गठन लोकतांत्रिक और समावेशी हो। इसने शेख हसीना के देश छोड़कर जाने के बाद सेना के संयम की भी सराहना की गई है।

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