वाशिंगटन। सिर्फ 12 दिन शेष…इसलिए नासा की धड़कनें बढ़ी हुई हैं। दरअसल भारतीय मूल की एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स और बैरी विल्मोर अंतरिक्ष में फंसे हैं। 2 माह से उन्हें धरती पर लाने की कोशिशें हो रही हैं। अब नासा ने बोइंग स्टारलाइनर के साथ मिलकर एक नया प्लान बनाया है। बोइंग के मुताबिक, उनके एक्सपर्ट ने 100,000 से ज्यादा कम्यूटर सिमुलेसंस किए हैं, जो बिल्कुल सटीक हैं। कोई खराबी नहीं आई। इस सिस्टम से हम अंतरिक्ष यात्रियों को आसानी से धरती पर उतार सकते हैं।
सुनीता और विल्मोर बोइंग स्टारलाइनर की पहली उड़ान से अंतरिक्ष में गए थे। फिलहाल दोनों इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर फंसे हुए हैं, क्योंकि अंतरिक्ष यान में खराबी आ गई थी। अब कम्यूटर सिमुलेसंस से पता चला है कि 28 में से 27 रिएक्शन कंट्रोल सिस्टम पूरी तरह फिट हैं, उनमें कोई खराबी नहीं आई है। जिस तरह से उन्हें भेजा गया, ठीक उसी तरह से वे लौटे हैं। इससे साफ हो गया है कि अगर इस सिस्टम के जरिए दोनों अंतरिक्ष यात्रियों को वापस लाने की कोशिश की जाती है, कोई दिक्कत नहीं आएगी।
स्पेसक्राफ्ट में आई खराबी की पहचान करने के लिए बोइंग के एक्सपर्ट ने एक दो नहीं बल्कि 100,000 से ज्यादा कम्यूटर सिमुलेसंस किए। हर लाइनअप की बारीकी से पड़ताल की गई। जानने की कोशिश की गई कि जब स्पेस स्टेशन से अनडॉक किया जाएगा, धरती के वायुमंडल में प्रवेश होगा, और महासागर के ऊपर ले जाया जाएगा, तो कैसी स्थिति बनेगी। इसके लिए रिएक्शन कंट्रोल सिस्टम के 7 ग्राउंड टेस्ट किए गए। एक फ्री फ्लाइट भी की गई। बोइंग ने कहा, हमारा सिस्टम फुलप्रूफ नजर आ रहा है। उम्मीद है कि हम जल्द अपने मिशन में कामयाब होंगे। बोइंग नासा के साथ मिलकर अभी स्पेसक्राफ्ट के डेटा का विश्लेषण कर रहा है। क्योंकि कैप्सूल के थ्रस्टर्स में विस्फोट और हीलियम लीक होने की वजह से जो मिशन सिर्फ 8 दिन का था, अब 60 दिन से अधिक का हो गया है।
नासा की पहली कोशिश दोनों एस्ट्रोनॉट को धरती पर लाना है। लेकिन यह इतना आसान भी नहीं है। नासा में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के प्रोग्राम मैनेजर डाना वीगेल ने कहा, सबसे पहले हमारी योजना डॉकिंग पोर्ट को खाली करना है। वहां जो बोइंग स्टारलाइनर पड़ा हुआ है, हटाना होगा। क्योंकि तभी कोई दूसरा कैप्सूल वहां जाएगा। स्पेस स्टेशन से डॉकिंग करेगा और इन अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर आएगा।