-परीक्षा में शामिल हो सकेंगे छात्र-छात्राएं

-तीन सदस्यीय कमेटी गठित, नपेंगे दोषी अधिकारी भी

जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट जबलपुर के जस्टिस संजय द्विवेदी और जस्टिस एके पालीवाल की युगलपीठ ने अपात्र नर्सिंग कॉलेजों में दाखिला लेने वाले छात्रों को राहत प्रदान करते हुए बड़ा आदेश सुनाया है। दरअसल फर्जी नर्सिंग कॉलेजों के छात्रों को एनरोलमेंट जारी कर परीक्षा में शामिल किए जाने का फैसला हाईकोर्ट ने सुनाया है। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में व्यापक स्तर पर नर्सिंग कॉलेजों के नाम पर फर्जीवाड़ा हुआ, जिसके तहत 65 नर्सिंग कॉलेजों को अपात्र घोषित कर दिया गया है।

लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन ने मध्य प्रदेश में संचालित फर्जी नर्सिंग कॉलेजों को चुनौती देने वाली एक याचिका हाईकोर्ट में दायर की थी। याचिका पर सुनवाई के दौरान प्रदेश के सभी नर्सिंग कॉलेजों की जांच सीबीआई द्वारा कराए जाने के आदेश दिए गए थे। इस आदेश के तहत सीबीआई ने 308 कॉलेजों की जांच की और जांच रिपोर्ट बंद लिफाफे में पेश की थी। इसी दौरान सीबीआई की तरफ से बताया गया था कि सुप्रीम कोर्ट ने 56 कॉलेजों की जांच पर स्थगन आदेश जारी किए हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में संचालित 169 नर्सिंग कॉलेज पात्र पाए गए, जबकि 74 नर्सिंग कॉलेज मानकों को पूरा नहीं करने वाली मिले, जिनमें ऐसी अनियमितताएं भी रहीं, जिन्हें सुधारा जा सकता था, वहीं 65 कॉलेज आयोग्य पाए गए। इस पूरे मामले में मप्र हाईकोर्ट जबलपुर की युगलपीठ ने अपने आदेश में अपात्र पाए गए कॉलेजों को तो किसी भी प्रकार की राहत देने से इंकार कर दिया, वहीं छात्रों को परीक्षा में शामिल होने संबंधी राहत प्रदान कर दी है।

कॉलेजों की खामियां दूर करने कमेटी गठित

जबलपुर हाईकोर्ट की युगलपीठ ने मानक पूरा नहीं करने वाले नर्सिंग कॉलेजों की खामियां दूर करने के लिए हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज आरके श्रीवास्तव की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित की है। इनकी रिपोर्ट के आधार पर ही खामियां दूर नहीं करने वाले कॉलेजों पर राज्य सरकार कार्रवाई कर सकेगी। खास बात यह है कि हाईकोर्ट ने कॉलेजों को मान्यता देने के लिए निरीक्षणदल में शामिल दोषी अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की अनुशंसा के निर्देश कमेटी को दे दिए हैं। इससे तमाम दोषियों पर कोर्ट का शिकंजा कसता नजर आ रहा है और एक बड़ी कार्रवाई होने की संभावना व्यक्त की जा रही है।

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