वॉशिंगटन । दुनिया के सबसे अमीर व शक्तिशाली देश की हैल्थ व्यवस्था इतनी बुरी तरह से लडख़ड़ा गई हैं कि दवाओं की भारी कमी से मरीज मर रहे हैं।अमेरिका एक दशक में दवाओं की कमी को लेकर सबसे खराब स्थिति का सामना कर रहा है। यह कमी मुख्य रूप से इंजेक्टेबल जेनेरिक दवाओं में है, जिससे रोगी देखभाल पर भारी असर पड़ रहा है। अमेरिकन सोसाइटी ऑफ हेल्थ-सिस्टम फार्मासिस्ट (एएसएचपी) के आंकड़ों के अनुसार, 2023 की पहली तिमाही में अमेरिका में दवाओं की कमी 10 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। कमी से प्रभावित शीर्ष पांच दवा वर्गों में कैंसर के उपचार में इस्तेमाल की जाने वाली कीमोथेरेपी दवाएं शामिल हैं, जिनमें से कई के विकल्प नहीं हैं। जानकारी के अनुसार भारत समेत दुनिया के कई कैंसर मरीज इस उम्मीद से अमेरिका इलाज कराने जाते हैं कि वहां उन्हें हर वो सुविधा मिलेगी, जो उनके देश में उपलब्ध नहीं है लेकिन उसी अमेरिका के अस्पताल इन दिनों कैंसर की दवाओं की भारी कमी से जूझ रहे हैं।

अमेरिका जैसे शक्तिशाली और अमीर देश के कैंसर उपचार केंद्रों में एक दर्जन से अधिक जीवन रक्षक दवाओं की कमी होने से वहां के स्वास्थ्य महकमे की व्यवस्था लडख़ड़ा गई है। विशेषज्ञों का कहना है अमेरिका में केवल कैंसर ही नहीं बल्कि अन्य जरूरी दवाओं की कमी भी होने लगी है। एनबीसी के मुताबिक इसका पहला कारण है सार्वजनिक स्वास्थ्य में गहराता संकट, जो इन दिनों बजट और फंड की कमी से जूझ रहा है। यहां हाल के महीनों में दर्जनों जीवन रक्षक दवाओं की कमी देखी गई इनमें सिस्प्लैटिन और कार्बोप्लाटिन भी शामिल हैं। करीब सभी केंद्रों पर इन दोनों आवश्यक दवाओं की कमी हो गई है। अमेरिकन कैंसर सोसायटी (एसीएस) और इसके एडवोकेसी सहयोगी, अमेरिकन कैंसर सोसायटी कैंसर एक्शन नेटवर्क (एसीएस सीएएन) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, एमबीए, पीएचडी, कैरन ई. नुडसन ने एक बयान में कहा, कुछ कैंसर दवाओं की कमी पूरे देश में कैंसर रोगियों के लिए एक गंभीर और जानलेवा मुद्दा बन गई है। मैंने उन रोगियों और चिकित्सकों से सुना है जो इन कमियों के प्रभाव को सीधे अनुभव कर रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *