टोरंटो । खालिस्तान के मामले में भारत से नाराजगी झेल रहे कनाडा ने अब चीन को उकसा दिया है। कनाडा की संसद के निचले सदन हाउस ऑफ कॉमंस में एक प्रस्ताव पारित हुआ है, जिसमें कहा गया है कि तिब्बत को खुद तय करने का अधिकार है कि वह किसके साथ रहना चाहता है। तिब्बत पर 7 दशकों से चीन का अवैध कब्जा है। वह चाइना पॉलिसी के तहत अब अपने ही देश का हिस्सा मानता है। हालांकि तिब्बतियों का एक बड़ा समूह निर्वासित है और हमेशा चीन के खिलाफ आंदोलन करता रहता है। तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा सहित हजारों लोग भारत में भी हैं, जो हमेशा चीन के खिलाफ प्रदर्शन करते हैं।

कनाडा की संसद में सांसद एलेक्सिस ब्रुनेले-ड्यूसेपे ने प्रस्ताव पेश किया था, जिसे मंजूर कर लिया गया। सदन में मौजूद सभी सांसदों ने इस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। हालांकि जिस दौरान यह प्रस्ताव लाया गया, उस वक्त सदन में पीएम जस्टिन ट्रूडो नहीं थे। एक अन्य सांसद जूली विग्नोला ने लिखा, आज इस प्रस्ताव को एक साल की बहस के बाद मंजूर कर लिया गया। वहीं कनाडा तिब्बत कमेटी ने लिखा कि हमें खुशी है कि कनाडा की संसद ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया है, जिसमें कहा गया है कि तिब्बत को अपने बारे में खुद फैसला लेने का अधिकार है।

सबसे अहम बात यह है कि इस प्रस्ताव में तिब्बत के लोगों को एक अलग मुल्क के तौर पर माना गया है और उन्हें अपने बारे में फैसले का अधिकार दिया गया है। कनाडा की संसद में पास प्रस्ताव में कहा गया, तिब्बतियों को अधिकार है कि वे अपनी आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक नीतियों को चुन सकें। इसमें किसी बाहरी ताकत को दखल देने का कोई अधिकार नहीं होना चाहिए।

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