-भाजपा ज्वाइन की पर कांग्रेस विधायकों ने नहीं दिया विधानसभा से इस्तीफा
भोपाल। लोकसभा चुनाव 2024 की घोषणा और उससे पहले से ही दूसरे दलों के नेताओं द्वारा भाजपा ज्वाइन करने का जो सिलसिला शुरु हुआ था, वह अभी तक जारी है। दल-बदल करने वालों में कांग्रेस के दो ऐसे विधायक भी हैं, जिन्होंने भाजपा तो ज्वाइन कर ली, लेकिन न तो उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दिया है और न ही विधानसभा को ही अपना इस्तीफा सौंपा है। ऐसे में ये दो नावों में सवार विधायक 4 जून का इंतजार कर रहे हैं, ताकि लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम आ जाएं उसके बाद वो सही निर्णय कर सकेगे कि कहां जाना उचित होगा।
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 में भाजपा ने 163 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि कांग्रेस के हिस्से में महज 66 सीटें ही आई थीं। इनमें से एक सीट जीतकर भारत आदिवासी पार्टी ने भी खाता खोला। विधानसभा चुनाव जीतने के बावजूद कांग्रेस के 03 विधायकों ने भाजपा का दामन थाम लिया है। इनमें छिंदवाड़ा जिले की अमरवाड़ा विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक कमलेश शाह ने लोकसभा चुनाव से पहले ही भाजपा ज्वाइन कर ली थी। शाह ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने के साथ ही कांग्रेस पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा देने के अलावा विधानसभा से भी इस्तीफा दे दिया था, जिसे 30 अप्रैल को स्वीकार कर लिया गया था। शाह के भाजपा में चले जाने के बाद कांग्रेस के 66 में से 65 विधायक ही बचे हैं।
मजेदार बात यह है कि यहां लोकसभा चुनाव 2024 के तीसरे चरण का मतदान होता, इससे पहले ही विजयपुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत ने पार्टी छोड़, भाजपा ज्वाइन कर ली, लेकिन उन्होंने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देना उचित नहीं समझा है। इस तरह से वो भाजपा के सदस्य तो हो गए, लेकिन विधानसभा में कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज करने वाले विधायक ही बने हुए हैं। इसी प्रकार बीना से विधायक चुनी गईं निर्मला सप्रे ने भी कांग्रेस छोड़ भाजपा ज्वाइन कर लिया है। इन्होंने भी रावत की ही तरह कांग्रेस तो छोड़ दी, लेकिन विधानसभा को अपना इस्तीफा नहीं सौंपा है। यहां बतलाते चलें कि रावत ने 30 अप्रैल को भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है, लेकिन उन्होंने न तो विधानसभा से इस्तीफा दिया और न ही कांग्रेस पार्टी को ही अपना इस्तीफा सौंपा है। विधायक निर्मला सप्रे की बात करें तो उन्होंने 5 मई को भाजपा ज्वाइन की, लेकिन उन्होंने भी न तो विधानसभा से इस्तीफा दिया और न ही कांग्रेस पार्टी को ही अपना त्याग-पत्र सौंपा है।
ऐसे में विश्लेषक तो यही कह रहे हैं कि ये दोनों ही विधायक दो नावों की सवारी इसलिए कर रहे हैं, ताकि 4 जून को लोकसभा चुनाव 2024 का रिजल्ट आ जाए, उसके बाद वो तय करेंगे कि उन्हें किस नाव में पूरी तरह सवार होना है। ये दोनों विधायक किसी लाभ और लालच में ऐसा कर रहे हैं या भय के कारण यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। फिलहाल इन विधायकों की दो नाव वाली सवारी राजनीतिक गलियारे में चर्चा का विषय बना हुआ है।