नई दिल्ली। दिल्ली के कथित शराब घोटाले के आरोपी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस वक्त ईडी की गिरफ्त में हैं। गिरफ्तारी से पहले केजरीवाल ने ऐलान किया था कि जेल में रहकर सरकार चलाएंगे। सीएम ने इसकी शुरुआत जल विभाग का एक आदेश जारी करके कर दी है।

यह पहला मौका है जब पद पर रहते हुए किसी मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया गया है। आम आदमी पार्टी और खुद अरविंद केजरीवाल इस बात की घोषणा कर चुके हैं कि वह गिरफ्तारी के बावजूद मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा नहीं देंगे। केजरीवाल जेल में रहकर ही सरकार चलाना चाहते हैं। इधर आम आदमी पार्टी का कहना है कि जेल से सरकार चलाने के लिए कोर्ट का सहारा लिया जा सकता है। कोर्ट यदि आदेश देता है तो सीएम को किसी ऐसी इमारत में रखा जा सकता है जिसे जेल घोषित कर दिया जाए और वह वहां से मुख्यमंत्री का अपना दफ्तर भी चलाते रहें। कुछ महीनों पहले आम आदमी पार्टी ने इसको लेकर एक सर्वे भी कराया था और दिल्ली की जनता से पूछा था कि यदि केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया जाता है तो उन्हें इस्तीफा देना चाहिए या फिर जेल से सरकार चलानी चाहिए। आम आदमी पीर्टी का दावा था कि अधिकतर लोगों ने जवाब दिया कि केजरीवाल को पद से इस्तीफा नहीं देना चाहिए। यदि संविधान के जानकारों की माने तो इसमें कई पेंच हैं। उन्हे जेल से सरकार चलाना व्यावारिक नहीं लगता है। वजह ये है कि जेल में हर एक कैदी को जेल के मैन्यूअल का पालन करना होता है। यदि इसमें कुछ बदलाव करना है तो न्यायालय की अनुमति लेना अनिवार्य है। जबकि मुख्यमंत्री को हर रोज तमाम लोगों से मुलाकात करना होती है,कैबिनेट बैठक भी करना होती है साथ ही कई फाइलों को देखना और उन पर हस्ताक्षर करना होते हैं। इसलिए जेल से सरकार चलाना आसान नहीं है।

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