इलेक्टोरल बॉन्ड से भ्रष्टाचार को लीगल बनाया, चंदा दो-धंधा लो नीति अपनाई
नई दिल्ली। इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने शनिवार को प्रेस कांफ्रेंस करके एक बार फिर भाजपा पर निशाना साधा। जयराम ने कहा- मोदी वहीं प्रधानमंत्री हैं जो काला धन वापस लाने की गारंटी देते थे। आज इन्होंने इलेक्टोरल बॉन्ड से भ्रष्टाचार को लीगल बना दिया और चंदा दो-धंधा लो नीति अपनाई। कांग्रेस नेता ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच कराने की भी मांग की। जयराम रमेश ने आगे कहा- मोदी सरकार की चंदादाताओं का सम्मान और अन्नदाताओं का अपमान करने की नीति है। पीएम मोदी एमएमपी को कानूनी दर्जा नहीं देना चाहते, लेकिन उन्होंने इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए रिश्वत को कानूनी दर्जा दे दिया। जयराम ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि इन्होंने निजी कंपनियों का इस्तेमाल किया। इस घोटाले के 4 रास्ते थे। पहला था, चंदा दो धंधा लो यह प्रीपेड है। दूसरा तरीका है ठेका लो घुस दो, जो कि पोस्टपेड है, पहले आपको कॉन्ट्रैक्ट मिलता है और फिर आप रिश्वत देते हैं। तीसरा तरीका है छापेमारी, पहले कंपनियों के पास ईडी-सीबीआई भेजी जाती है और उनसे बचने के लिए ये कंपनियां इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदती हैं और चौथा तरीका है शेल कंपनियों का उपयोग करना। 38 कॉर्पोरेट कंपनियों ने प्रोजेक्ट मिलने के बाद भाजपा को चंदा दिया रमेश ने आरोप लगाया कि कोड का उपयोग करते हुए रिसर्च से पता चला है कि 38 कॉर्पोरेट कंपनियों को केंद्र या भाजपा शासित राज्य सरकारों की तरफ से कई प्रोजेक्ट की मंजूरी मिली। बाद में उन कंपनियों ने इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे। रमेश ने दावा किया कि इन कंपनियों को भाजपा को चुनावी बांड के 2,004 करोड़ रुपये के चंदे के बदले प्रोजेक्ट में कुल 3.8 लाख करोड़ रुपए मिले हैं। रमेश ने आगे कहा, जब इंडिया गठबंधन सत्ता में आएगा तो वह चुनावी बांड घोटाले की एसआईटी से जांच कराएगा। इसके अलावा अडानी मामले पर एक जेपीसी बनाई जाएगी और एक एसआईटी पीएम-केयर्स फंड की भी जांच करेगी।

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