इंदौर, 27 अगस्त। लोकायुक्त पुलिस की कार्रवाई में बुधवार शाम बिजली कंपनी के पोलोग्राउंड स्थित दफ्तर में सहायक इंजीनियर मोहन सिंह सिकरवार 40 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़े गए। बिजली कंपनी के एसडीओ सिकरवार बंद ट्रांसफार्मर को चालू करने के लिए रिश्वत मांग रहे थे। पीड़ित की शिकायत की तस्दीक के बाद लोकायुक्त पुलिस की टीम ने उसे ट्रैप पाउडर लगे नोट रिश्वत के लिए दिए। पहली किश्त देने पीड़ित पहुंचा तो आसपास खुफिया तौर पर मौजूद ट्रैप टीम ने इंजीनियर को रंगे हाथ पकड़ लिया।
जानकारी के मुताबिक इंदौर में एबी रोड स्थित कृष्णा पैराडाइज मल्टी का ट्रांसफार्मर बंद पड़ा था। राजेंद्र राठौर नामक मल्टी के संचालक ने ट्रांसफार्मर को बिजली लाइन से जोड़ने के लिए आवेदन दिया था। बिजली कंपना के एसडीओ मोहन सिंह सिकरवार के पास यह काम लंबित था। सिकरवार आवेदक से 50 हजार रुपए लिए बिना काम करने को तैयार नहीं था।
राजेंद्र राठौर ने लोकायुक्त एसपी सव्यसाची सर्राफ को समस्या बताई। एसपी ने डीएसपी प्रवीण सिंह बघेल सहित अन्य अधिकारियों की टीम गठित की। बुधवार को शिकायतकर्ता ने बिजली कंपनी के दफ्तर में रिश्वत दी। हाथ में पाउडर लगे नोट लेती ही लोकायुक्त टीम पहुंच गई, लोकायुक्त टीम ने पहुंचते ही हाथ धुलाई तो वह गुलाबी हो गए। इस दौरान सदमे में डूबा इंजीनियर कहता रहा, मैं तो बहुत सीधा हूं, पैसे मैंने अपने लिए नहीं लिए, बड़े अफसरों को देना होते हैं।
5 हॉर्सपावर लोड के 7000 और 10 हॉर्सपावर के 10000 रुपए
बिजली कंपनी की शिकायतें लोकायुक्त को लगातार मिल रही थीं। विभागीय सूत्रों के अनुसार लोड के हिसाब से रिश्वत राशि अलग होती है। कंपनी के अधिकारी/कर्मचारी को 5 एचपी तक के लोड के लिए कुल 7000 रुपए देने पड़ते हैं, 10 एचपी तक के लिए 10,000, जबकि 20 एचपी का लोड मंजूर करने के लिए 50,000 रुपए तक रिश्वत ली जाती है। लोड 100 एचपी से ज्यादा हो तो मंजूरी अधीक्षण यंत्री से मिलती है। रिश्वत के पैसे बांटने की बात पर सिकरवार के कार्यपालन यंत्री भजन कुमार ने पल्ला झाड़ते हुए कहा सिकरवार झूठ बोल रहा है।