

ग्वालियर, 26 अगस्त। कोरोना काल अदालतों का कामकाज बंद रहने से आर्थिक तौर पर परेशान वकीलों ने बुधवार को जिला न्यायालय के बाहर धरना प्रदर्शन किया। इन वकीलों की दर्द है कि 90 प्रतिशत वकील बीते 4 महीनों से आर्थिक तंगी से मुहाल हैं। एक अभिभाषक ने डिप्रेशन में आकर आत्महत्या तक कर चुके हैं। प्रदर्शन कर रहे वकीलों कीमांग है कि सरकार उन्हें इस काल में कामकाज बंद रहने का मुआवजा दे।
वकीलों ने की 10 हजार रुपए मुआवजे की मांग, लेकिन सुनवाई नहीं
वकीलों का कहना है कि जब अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है तो कोर्ट को सिर्फ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के भरोसे क्यों छोड़ा जा रहा है। वहां भी सीमित दायरे में कोर्ट की कार्रवाई शुरू की जा सकती है। क्योंकि अधिकांश वकील ऐसे हैं जो रोजाना कमाते हैं और खाते हैं। मात्र 10 फ़ीसदी वकील ही साधन संपन्न है। अधिवक्ताओं का दर्द है कि उन्होंने कोर्ट की कार्रवाई को नियमित कराने के लिए प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश एवं मुख्यमंत्री सहित केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को दो बार मांग पत्र भेजा है। लेकिन किसी ने भी उनकी सुनवाई नहीं की है।
अधिवक्ताओं का कहना है कि ग्वालियर बाहर के लिए दो करोड़ रुपए की सहायता राशि मंजूर करने की भी शासन से मांग की गई है ताकि वकीलों को 10 -10 हजार की आर्थिक सहायता दी जा सके। फिलहाल वकील जिला न्यायालय के बाहर एक दिवसीय धरने पर बैठे हैं। उनका कहना है कि अभी भी सरकार ने उनकी सुनवाई नहीं की गई तो वह धरना प्रदर्शन को नियमित करने पर विचार करेंगे।
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गौरतलब है कि पिछले 15 दिनों के भीतर ही कुमार गौरव शर्मा और नरेंद्र सिंह किरार नामक अधिवक्ताओं की मौत हो गई थी इनमें कुमार गौरव ने फांसी लगाकर आत्महत्या की थी जबकि नरेंद्र सिंह को ब्रेन हेमरेज होने के बाद दिल्ली भर्ती कराया गया था जहां उनकी मौत हो गई ।