



अयोध्या, 05 अगस्त। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर के लिए भूमि पूजन और आधारशिला रखे जाने के बाद संबोधित करते हुए कहा कि मुझे राम लला की जन्मभूमि से आदेश मिला तो यहां आना स्वाभाविक ही है, क्योंकि राम काज कीन्हे बिनु मोहि कहां विश्राम। मोदी ने बताया कि यूं तो श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं, और राम राज्य विश्व को शांति, समृद्धि और समानता की प्रेरणा है, लेकिन श्रीराम ने यह भी सिखाया है कि शक्तिशाली बने बिना शांति की बातें बेमानी हो जाती हैं। शांति बनाए रखने के लिए शक्ति अर्जित करना और बनाए रखना भी बहुत ज़रूरी है
अपने संबोधन में PM मोदी ने कहा कि भारत आज भगवान भास्कर के सानिध्य में सरयू के किनारे एक स्वर्णिम अध्याय रच रहा है। सोमनाथ से काशी विश्वनाथ से, बोधगया से सारनाथ तक, अमृतसर से पटना साहिब तक, लक्षद्वीप से लेह तक आज पूरा भारत श्रीराम मय है, और भारत ही क्यों श्रीराम तो किसी न किसी रूप में दुनिया के हर देश में व्याप्त हैं। इसलिये पहले प्रभु राम और माता जानकी को याद कर लें। देशवासियों को और विश्व में फैले करोड़ों-करोड़ों भारत भक्तों को, इस पवित्र अवसर पर कोटि-कोटि बधाई।
संबोधन की विशेष बातें
-ये मेरा सौभाग्य है कि राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने मुझे बुलाया और मुझे इस ऐतिहासिक पल का साक्षी बनने का अवसर दिया। मैं हृदयपूर्वक ट्रस्ट का आभार व्यक्त करता हूं।
-पूरा देश रोमांचित है, हर मन दीपमय है। आज पूरा भारत भावुक है। सदियों का इंतजार आज समाप्त हो रहा है। करोड़ों लोगों को आज ये विश्वास ही नहीं हो रहा होगा कि वो अपने जीते जी इस पावन दिन को देख पा रहे हैं। बरसों से टेंट के नीचे रहे हमारे राम लला के लिए एक भव्य मंदिर का निर्माण होगा। टूटना और फिर उठ खड़ा होना सदियों से चल रहे इस क्रम से राम जन्मभूमि आज मुक्त हुई है।
राम मंदिर के लिए सदियों तक प्रयास होते रहे
आजादी की लड़ाई में कई पीढ़ियों ने अपना सबकुछ समर्पित कर दिया, गुलामी के कालखंड में कोई ऐसा समय नहीं था, जब आजादी के लिए आंदोलन न चला हो। देश का कोई भूभाग ऐसा नहीं था, जहां आजादी के लिए बलिदान न दिया गया हो। 15 अगस्त का दिन उस अथाह तप का लाखों बलिदानों का प्रतीक है। ठीक उसी तरह राम मंदिर के लिए कई-कई सदियों तक, कई-कई पीढ़ियों ने अखंड और अविरल एकनिष्ठ प्रयास किया। आज का दिन उसी तप, त्याग और संकल्प का प्रतीक है।