जयपुर, 25 जुलाई। राजस्थान में 16 दिन से जारी सियासी उठापटक के दौर में शनिवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उसी होटल में विधायक दल की बैठक आयोजित की जहां बागी विधायकों कको रखा गया है। भाजपा पर लगातार हमले बोलते हुए गहलोत ने कहा कि,  ‘सरकार गिराने की भाजपा की साजिश को कामयाब नहीं होने देंगे। जरूरत पड़ी तो राष्ट्रपति के पास जाएंगे। अगर इससे भी बात नहीं बनी तो हम प्रधानमंत्री आवास के सामने प्रदर्शन करेंगे।’

राजस्थान विधानसभा सत्र बुलाने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की शनिवार को राज्यपाल कलराज मिश्र से मुलाकात टल गई। हालांकि विरोध जताने के लिए गहलोत ने अपने खेमे के विधायकों की उसी  फेयरमोंट होटल में बैठक आयोजित की, जहां बागी विधायकों को रखा गया है। बैठक में CM गेहलोत ने कहा कि विधानसभा सत्र बुलाने के लिए जरूरत पड़ने पर हम राष्ट्रपति से मिलेंगे और जरूरत पड़ी तो हम PM के निवास के बाहर भी विरोध प्रदर्शन करेंगे 

राज्यपाल से मिलकर गेहलोत देंगे उनकी 6 आपत्तियों के जवाब

राज्यपाल कलराज मिश्र ने विधानसभा सत्र के लिए गहलोत के दिए प्रस्ताव पर 6 आपत्तयां निकालकर जवाब देने को कहा था। गेहलोत शनिवार को नया प्रस्ताव पेश करेंगे जिसमें राज्यपाल की 6 आपत्तियों का जवाब होगा। दरअसल, CM और राज्यपाल के बीच सत्र बुलाने को लेकर तकरार चल रही है। मुख्यमंत्री सोमवार को सत्र बुलाना चाहते हैं, लेकिन राज्यपाल ने कोरोना महामारी का हवाला देकर इनकार कर दिया था। शुक्रवार रात CM को भेजे पत्र में राज्यपाल ने सत्र को लेकर आपत्तियां जताई थीं। इसी दौरान राजस्थान भाजपा का प्रतिनिधिमंडल भी राज्यपाल से मुलाकात कर राज्य में कोरोना के हालात पर चर्चा करेगा। प्रतिनिधिमंडल में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया शामिल होंगे।

कैसा प्रभाव डालेगा मरुभूमि का सियासी तूफान

हाईकोर्ट का फैसला

हाईकोर्ट 19 विधायकों को नोटिस मामले में स्पीकर को यथास्थिति बनाए रखने का आग्रह करचुका है। लिहाजा बागी विधायक सुरक्षित हैं, उनकी सदस्यता पर फिलहाल कोईखतरा नहीं है। आदेश के विरुद्ध दायर SLP की सुनवाई में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट के आदेश की समीक्षा करेगा।

गणित कितना गहलोत और किता पायलट के पक्ष में
गहलोत सरकार की राजभवन में कराई गई विधायकों की परेड में में 102 विधायकों का समर्थन दिखाया गया था। इनमें कांग्रेस के 88, निर्दलीय 10, BTP के 2, CPM और RLD का एक-एक विधायक है। यदि इतने विधायक फ्लोर टेस्ट में सरकार का साथ देते हैं तो सरकार बहुमत हासिल कर लेगी, लेकिन अगर कुछेक विधायक इधर-उधर हुए तो सरकार खतरे में पड़ सकती है।

राज्यपाल बुला सकते है सोमवार को विशेष सत्र
राज्यपाल कलराज मिश्र ने CM गहलोत के विधानसभा सत्र बुलाने के प्रस्ताव पर 6 आपत्तियां उठाई थीं। कोरोना का हवाला देने और विशेष सत्र को जल्दबाजी में बुलाए जाने पर सवाल उठाकर जवाब मांगने से जाहिर है कि राज्यपाल सोमवार को आपातकाली सत्र बुलाने की अनुमति नहीं देंगे। हालांकि कैबिनेट ने दूसरी बार राजभवन को प्रस्ताव भेजा तो राज्यपाल प्रस्ताव मानने को बाध्य होंगे, फिर भी सत्र तत्काल बुलाए जाने की उम्मीद नज़र नहीं आरही है।

गहलोत सत्र में व्हिप जारी कर बागियों को बनाना चाहते हैं अयोग्य
दअसल गहलोत की रणनीति है कि बिल लाकर व्हिप जारी किया जाए और जो बागी बिल के खिलाफ दें उनकी सदस्यता रद्द कराई जाए। राज्यपाल दिए पत्र में फ्लोर टेस्ट का उल्लेख नहीं होने से गहलोत की मंशा साफ जाहिर हुई है। यहां गणित साफ है कि 19 विधायक अयोग्य हुए तो बहुमत के लिए सिर्फ 92 विधायकों की जरूरत रह जाएगी। इतने विधायक सरकार के साथ हैं।


भाजपा नहीं चाहती 19 बागी अयोग्य घोषित हों

भाजपा कभी नहीं चाहेगी कि सरकार सत्र बुलाकर पायलट खेमें को अयोग्य घोषित कर उनके पर कतर दे। क्योंकि कांग्रेस के 19 बागियों की सदस्यता बची रही तो ज़रूरत पड़ने पर वह सरकार बनवा भले न सकें, हिला सकेंगे और हालात बदले तो गिरवाने में भी मददगार होंगे।

विधानसभा का मौजूदा गणित

गहलोत के पक्ष में: कांग्रेस-88, निर्दलीय-10, BTP-2, RLD-1, MCP-1

कुल-102
पायलट के पक्ष में : कांग्रेस के 19 बागी, निर्दलीय- 3

कुल-22

भाजपा की ताकत :BJP-72 भाजपा, RLP-3

कुल-75

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