लखनऊ, 25 जुलाई। उत्तरप्रदेश में कोरोना संक्रमण के साथ-साथ अपराध का ग्राफ भी बढ़ता जा रहा है। कानपुर के संजीत किडनेप और हत्याकांड की नाकामी के बाद, शनिवार को गोंडा पुलिस ने पान मसाला कारोबारी के अपहृत बच्चे को सकुशल आजाद करा लिया। गौरतलब है कि शुक्रवार को बदमाशों ने कोरोना महामारी का फायदा उठाते हुए सैनिटाइजर देने के बहाने गोंडा के एक पान मसाला कारोबारी के बेटे का अपहरण कर लिया। पुलिस ने मुस्तैदी दिखाते हुए शनिवार सुबह बच्चे को अपहरणकर्ताओं के चंगुल से सकुशल छुड़ा लिया। इस मामले में पुलिस ने एक महिला समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया है।
बच्चे के अपहरण और उसके परिजनों से फिरौती की रकम मांगने में एक महिला की भूमिका के बारे में जानकर पुलिस भी हैरान है। हालांकि उसी की एक गलती की वजह से पुलिस को अपहरणकर्ताओं का सुराग लगा था, और आखिरकार पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया।
कौन है गिरफ्तार महिला
आरोपी महिला का नाम छवि पाण्डेय है। छवि मामले के दूसरे आरोपी सूरज पाण्डेय की पत्नी है। छवि भी इस अपहरण में सक्रियता से शामिल थी। उसने ही बच्चे के कारोबारी पिता को फिरौती के लिए फोन किया था। फोन पर उसकने चार करोड़ रुपये की फिरौती मांगी थी। फिरौती की धमकी वाले ऑडियो में छवि साफ कहा था कि – कानपुर वाले विकास दुबे मामले का पता है न, पुलिस किसी की नहीं होती।
छवि की एक गलती से पुलिस को मिला सुराग
फिरौती के लिए जब कारोबारी को फोन आया तो उसने कॉल को अपने मोबाइल में रिकॉर्ड कर लिया और यह रिकॉर्डिंग पुलिस को दे दी। अपहरणकर्ता (छवि) और कारोबारी की बातचीत सुनकर पुलिस ने तुरंत पकड़ लिया कि आरोपी कोई पेशेवर अपहरणकर्ता नहीं हैं। छवि फोन पर कारोबारी से ठीक-ठाक लहजे में सम्मानजनक तरीके से बात कर रही थी। बातचीत के दौरान वह धमकी देने में अटक भी रही थी। ऐसा लग रहा था कि पीछे से कोई उसे बता रहा हो कि आगे क्या बोलना है। पुलिस ने ताड़ लिया कि अपराधी पेशवर नहीं हैं। इसके बाद CCTV फुटेज में अपहरण में इस्तेमाल की गई कार भी नजर आ गई। इतने सारे संकेतों के सहारे पुलिस के मुखबिरों ने अपहर्ताओं का सुरग निकाल ही लिया।