भोपाल, २१ जुलाई। मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का इलाज के दौरान उनके गृह नगर लखनऊ में निधन हो गया। वह लंबे अरसे से लखनऊ के मेदांता अस्पताल में भर्ती थे, उनकी उम्र 85 वर्ष थी। इस दुखद समाचार की जानकारी उनके पुत्र व उत्तरप्रदेश सरकार में मंत्री आशुतोष टंडन ने ट्वीट के जरिए दी।

राष्ट्रवादी विचारधारा से जुड़े लालजी टंडन ने सिर्फ 12 साल की उम्र में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में अपनी सक्रिय भूमिका शुरू कर दी थी। वह ऐसे राजनेता थे जिन्होंने पार्षद से लेकर राज्यपाल तक का सफर को तय किया। लखनऊ संसदीय क्षेत्र से 2009 में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ चुके थे ।इस सीट पर पहले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई सांसद चुने गए थे। भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेताओं में शामिल लालजी टंडन पहली बार 1960 में पार्षद चुने गए थे ।1978 में वे पहली बार विधान परिषद के सदस्य चुन लिए गए। इस दौरान वे 1996 तक 2 बार विधान परिषद के सदस्य रहे। पहली बार 1996 में उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ा और भारी अंतर से जीत हासिल की। इसके बाद उन्होंने लखनऊ से लोकसभा का चुनाव लड़ा था और 40,000 से भी ज़्यादा मतों से जीत हासिल की थी । 1991 में कल्याण सिंह के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री बने थे। उन्होंने इस दौरान नगर विकास मंत्री का दायित्व बखूबी निभाया। इससे पहले वे विधान सभा में विपक्ष के नेता के रूप में भी चर्चित रहे।

लालजी टंडन 23 अगस्त 2018 को पहली बार बिहार का राज्यपाल बनाए गए थे। इसके बाद बीते साल 29 जुलाई को मध्य प्रदेश के राज्यपाल मनोनीत किए गए थे।

उनके निधन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा और राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया समेत तमाम मंत्रियों और भाजपा संगठन के पदाधिकारियों ने गहरा दुख जताया है। लालजी टंडन के निधन पर मध्यप्रदेश में ५ व उत्तरप्रदेश में ३ दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया है।

मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का अंतिम संस्कार मंगलवार अपराह्न ४ बजे लखनऊ में किया जाएगा। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लालजी टंडन को अंतिम विदाई देने लखनऊ पहुंच रहे हैं। लालजी के पुत्र आशुतोष टंडन ने लोगों से अपील की है कि COVID-19 वायरस प्रसार के खतरनाक हालात के मद्देनजर बाबूजी को श्रृद्धांजलि देने अंतिम संस्कार स्थल पर न पहुंचें, घर से ही उनकी आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना करें।

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