दावत-ए-इस्लामी के नापाक शागिर्द हैं जिहादी हत्यारे, NIA करेगी नापाक से जुड़ी साजिशों की जांच  

उदयपुर, 29 जून। राजस्थान के उदयपुर में टेलर मास्टर कन्हैयालाल सिंह का बुधवार दोपहर अंतिम संस्कार कर दिया गया। शहर में कर्फ्यू के बाद भी  उनकी अंतिम यात्रा में भारी भीड़ जुटी। उदयपुर शहर ‘हत्यारों को फांसी दो…फांसी दो’ के नारों से गूंज उठा। ज़िहादियों के जघन्य दुष्कृत्य विरोध में शहर के सभी बाजार बंद रहे। किसी भी हालात से निपटने के लिए भारी संख्या में सुरक्षाबल तैनात किया गया है। बिलखती पत्नी ने कहा कि हत्यारों को फांसी की सजा दी जाए, नहीं तो ये कई निर्दोषों की हत्या करेंगे। दावत-ए-इस्लामी की मदरसाई दावत पर हुई कन्हैयालाल की हत्या….

कन्हैयालाल सिंह हत्याकांड का पाक कनेक्शन सामने आया है। बताया जा रहा है कि गला रेतने वाले दोनों आरोपी पाकिस्तान के दावत-ए-इस्लामी संगठन से जुड़े हुए थे। यह संगठन 100 से ज्यादा देशों में सक्रिय है और इस्लाम के प्रचार-प्रसार के लिए कई तरह के ऑनलाइन कोर्स भी चला रहा है। इससे पहले भारत में इस इस्लामी संगठन पर धर्मांतरण के भी आरोप लग चुके हैं। ऐसी भी खबरें आई हैं कि इस संगठन द्वारा जगह-जगह पर दान पेटियां रखी जाती हैं। आरोप है इनके माध्यम से आने वाले धन को गलत गतिविधियों में इस्तेमाल किया जाता है। ज्ञातव्य है कि हाल ही में छत्तीसगढ़ के रायपुर में इस पाकिस्तानी संगठन को ज़मीन मुहैया कराने का आरोपों में कांग्रेस सरकार गिर गई थी।

100 से ज्यादा देशों में सक्रिय है पाकिस्तानी दावत-ए-इस्लामी

खुद को गैर राजनीतिक इस्लामी संगठन करार देने वाले दावत-ए-इस्लामी की स्थापना 1981 में पाकिस्तान के करांची में हुई थी। मौलाना अबू बिलाल मुहम्मद इलियास का यह इस्लामिक संगठन भारत में विगत चार दशकों से सक्रिय है। शरिया कानून का प्रचार-प्रसार करना और उसकी शिक्षा को लागू करना संगठन का उद्देश्य है। इस समय यह संगठन करीब 100 से ज्यादा देशों में अपना नेटवर्क फैला चुका है।

शरीया और इस्लामिक प्रचार-प्रसार के ऑनलाइन कोर्सेस चलाती है दावत-ए-इस्लामी

दावत-ए-इस्लामी की अपनी खुद की वेबसाइट है। वेबसाइट के माध्यम से यह इस्लामिक संगठन कट्टर मुसलमान बनने के लिए शरिया कानून के तहत इस्लामी शिक्षाओं का ऑनलाइन प्रचार-प्रसार कर रहा है। करीब 32 तरह के इस्लामी कोर्स इसकी वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। महिलाओं व पुरुषों दोनों के लिए अलग-अलग तरह के कोर्स हैं। इसके अलावा यह संगठन कुरान पढ़ने और मुसलमानों को हर तरीके से शरिया कानून के लिए तैयार करता है।

इस्लामिक शिक्षा के नाम पर बनाता है जिहादी, अवैध धर्मांतरण के भी आरोप

दावत-ए-इस्लामी पर कई बार धर्मांतरण के आरोप लगे हैं। यह संगठन अपनी वेबसाइट पर ‘न्यू मुस्लिम’ कोर्स भी संचालित करता है जो धर्मांतरित नव-मुस्लिमों के लिए तैयार किया गया है। इससे धर्मांतरित को जिहादी बनने का विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है।

कन्हैयालाल के हत्यारे भी हैं दावत-ए-इस्लामीके शागिर्द

मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि उदयपुर में कन्हैयालाल की हत्या करने वाले दोनों आरोपी मोहम्मद रियाज और गौस मोहम्मद ‘दावत-ए-इस्लामी’  से जुड़े हुए हैं। ये दोनों इस्लामी संस्था की वेबसाइट पर ऑनलाइन कोर्स कर रहे हैं। हत्या के बाद दोनों आरोपी अजमेर दरगाह जियारत के लिए जा रहे थे।

 नूपुर शर्मा का समर्थन किया तो पहले FIR कराई फिर कर दी हत्या
10 दिन पहले नूपुर शर्मा के समर्थन में सोशल मीडिया पर पोस्ट डालने वाले कन्हैयालाल का तालिबानी तरीके से मर्डर कर दिया गया। गौस और रियाज मंगलवार को दिनदहाड़े उसकी दुकान में घुसे। तलवार से कई वार किए और उसका गला काट दिया। पुलिस ने मंगलवार को दोनों आरोपियों गौस मोहम्मद और रियाज जब्बार को राजसमंद से अरेस्ट किया था। इनके साथ ही पुलिस ने तीन और लोगों को भी हिरासत में लिया है।  हत्याकांड की जांच अब NIA ने अपने हाथ में ले ली है और दोनों हत्यारों के खिलाफ अनलॉफुल एक्टविटी (UAPA) एक्ट समेत आईपीसी की कई धाराओं में मामला दर्ज किया गया है।

एनआईए और एसआईटी करेगी जांच

हत्या की जांच करने के लिए राज्य सरकार ने एसआईटी का गठन किया। एसआईटी टीम उदयपुर पहुंच गई है। इस हत्याकांड की जांच एनआईए भी करेगी। एनआईए की टीम भी आज उदयपुर पहुंचेगी। दरअसल, इस हत्याकांड के पीछे अंतरराष्ट्रीय साजिश की बात भी सामने आ रही है। नुपुर शर्मा की पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी के बाद आतंकवादी संगठन अलकायदा भी धमकी दे चुका है। दावत-ए-इस्लामी संगठन से भी तार जुड़े हैं।

भारत में 1989 में कानपुर में पसारे थे दावत-ए-इस्लामी ने पैर

दावत-ए-इस्लामी की शुरुआत भारत में 1989 से हुई थी। तब पाकिस्तान से उलेमा का एक प्रतिनिधिमंडल भारत आया था। इसके बाद यह संगठन धीरे-धीरे भारत में अपनी जड़ें मजबूत करता चला गया। यहां मुंबई और दिल्ली में इस संगठन के हेडक्वार्टर हैं। इसके ज्यादातर सदस्य हरे रंग की पकड़ी बांधते हैं। अपने संदेश को प्रसारित करने के लिए इस संगठन ने मदनी चैनल भी बनाया है। सबसे पहले संगठन ने उत्तरप्रदेश के कानपुर में अपनी गतिविधियां शुरू की थीं।   

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