ग्वालियर, 15 अप्रेल। गुड-फ्राइडे के मौके पर ईसाई समाज के लोगों ने प्रभु यीशु के दु:ख भोग एवं मृत्यु का स्मरण करते हुए इसे मनाया। शहर के सभी चर्च में सुबह आठ से 12 बजे तक हिंदी व अंग्रेजी समते देश की तमाम बोलियों व भाषाओं में ‘क्रूस-रास्ता’ का आयोजन किया गया। दोपहर बाद तीन बजे क्रूस की उपासना की गई। हंसते-हंसते प्रभु यीशु ने पवित्र-क्रूस पर दिया था बलिदान….

इस अवसर पर संत पाल चर्च के प्रवक्ता एबेल एक्स्ट्रोस ने बताया कि मानव जाति को पापों से मुक्ति दिलाने एवं उद्धार करने 2000 वर्ष पूर्व शुक्रवार को ईसा मसीह ने क्रूस पर बलिदान दिया था। प्रभु यीशु के बलिदान का स्मरण करने प्रतिवर्ष इस दिन दुनिया भर की तरह भारत के चर्चों में भी आयोजन किए जाते हैं। प्रभु यीशु ने बलिदान दिया था, इसलिए इस दिन को गुड-फ्राइडे के रूप में याद किया जाता है।

सेंट पॉल समेत शहर के चर्चों में हुऊ पवित्र-क्रूस की स्थापना

प्रभु यीशु के बलिदान दिवस गुड-फ्राइडे का आयोजन शहर के सेंट पॉल चर्च मुरार, सेंट जॉन द बैपटिस्ट चर्च लश्कर, गुड शेफर्ड चर्च महाराजपुरा और माउंट कार्मेल चर्च कंपू में होली क्रूस की उपासना की गई। गुड-फ्रइडे आयोजनों का प्रारंभ दुख-भोग पाठ के साथ किया गया। इसके बाद पुरोहित पवित्र-क्रूस को वेदी पर लाए। इस रस्म को तीन बार अदा किया गया।

पुरोहितों ने पुकार लगाई–पवित्र-क्रूस को देखिए जिस पर संसार के मुक्तिदाता टंगे है

 पुरोहितों की पुकार के उत्तर में सभी श्रद्धालुओं ने कहा–आइए हम उसकी आराधना करें, जो हमारा मुक्ति दाता है। इसके बाद पवित्र-क्रूस को चूमे जाने की परंपरा है, किंतु कोरोना महामारी के प्रोटोकोल ध्यान में रखते हुए इस बरा क्रूस का चुंबन नहीं किया गया। श्रद्धालुओं ने क्रूस के सम्मुख नतमस्तक होकर उपासना की।

भजन गा कर प्रभु यीशु के सर्वोच्च बलिदान को किया याद

गुड-फ्राइडे के पावन अवसर पर मंडली ने–गाया, क्रूस पर जो कुर्बान है, वह मेरा मसीहा है। हर जख्म जो उसका है, वह मेरे गुनाह का है। प्रभु यीशु के पवित्र-क्रूस पर दुख भोग के कई और भजन गाते हुए श्रद्धालुओं ने प्रभु यीशु के बलिदान का स्मरण किया।

प्रवक्ता एक्सट्रोस ने बताया कि गुड-फ्राइडे के दिन प्रभु यीशु ने पवित्र-क्रूस पर दोपहर बाद तीन बजे बलिदान दिया था।

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