बनारस, 30 जनवरी। कोविड-19 संक्रमण को रोकने के लिए बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने आयुर्वेदिक धूप का अविष्कार किया है। वैज्ञानिकों के अनुसार 19 जड़ी-बूटियों से बनी इस धूप में कोविड-19 वायर के प्रसार को रोकने की क्षमता है। जड़ी-बूटियों से बनी यह धूप बत्ती जलाने से संक्रमण का खतरा टल जाता है। इसे जला कर रखने से घर में कोरोना रोगी हो तो उससे बाकी सदस्य संक्रमित नहीं होते। बीएचयू के शोधकर्ताओं ने इसे एयर-वैद्या नाम दिया है, इसके धूम्र रोगी के फेफड़ों में पहुंच कर कोविड-19 वायरस का भी नाश करते हैं। धूपम-चिकित्सा पर पहली बार वैज्ञानिक प्रयोग, क्लीनिकल ट्रायल में 94 प्रतिशत प्रभावकारी सिद्ध…

बीएचयू के इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज के रस शास्त्री वैज्ञानिक डॉ.केआरसी रेड्डी ने बताया कि आयुर्वेद में धूपम चिकित्सा का उल्लेख सदियों पुराना है, किंतु कोविड-19 महामारी आने के बाद विश्व में पहली बार यह इसका वैज्ञानिक अध्ययन हुआ है। डॉ.रेड्डी ने बताया कि ICMR की क्लिनिकल ट्रायल रजिस्ट्री (सीटीआरआई) से पंजीकरण मिलने के बाद 19 जड़ी-बूटियों से निर्मित एयरवैद्य हर्बल धूप (एवीएचडी) के दूसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल पूरे कर लिए गए हैं। डॉ.रेड्डी ने बताया कि कंट्रोल ग्रुप में 100 स्वस्थ वयस्क व्यक्ति शामिल किए गए, जबकि दूसरे इंटरवेंशन ग्रुप में 150 व्यक्ति शामिल किए गए। इंटरवेंशन ग्रुप को एयरवैद्य के धुएं का सेवन 10-10 मिनट सुबह-शाम कराया गया। दूसरे समूह को एयरवैद्य नहीं दी गई. दोनों समूहों को सामान्य कोरोना प्रोटोकाल पालन करने को कहा गया था. एक महीने बाद जो चौंकाने नतीजे निकले। इंटरवेंशन ग्रुप में सिर्फ 6 लोगों यानी चार प्रतिशत में कोरोना संक्रमण जैसे लक्षण पाए गए, जबकि कंट्रोल ग्रुप में 37 अर्थात 37 प्रतिशत में कोरोना के लक्षण जैसे बुखार, खांसी, सर्दी, स्वाद नहीं आना, गंध महसूस नहीं होना आदि पाए गए। एवीएचडी के धुएं से होने वाले संभावित नुकसान के आंकलन के लिए ड्रोसेफिला मक्खियों पर भी अध्ययन किया गयाथा. परिणाम से सिद्ध हुआ कि यह पूर्णत: दुष्प्रभाव मुक्त है।   

19 जड़ी-बूटियों का मिश्रण बनेगा कोरोना का काल

डॉ.रेड्डी ने बताया कि भारत सहित पूरी दुनिया में पहली बार कोविड-19 और धूपम चिकित्सा पर शोध हुआ है, जिसके तीन प्रमुख नतीजे निकले हैं। प्रथमतः एवीएचडी धूप से कोविड संक्रमण या अन्य किसी वायरल संक्रमण का खतरा बेहद कम हो जाता है। द्वितीय, इससे कोरोना का प्रसार कम होता है क्योंकि एवीएचडी के प्रयोग से हवा में मौजूद कोरोना वायरस निष्क्रिय हो जाता है। डॉ.रेड्डी के अनुसार तीसरा फायदा यह है कि एवीएचडी शरीर में प्रवेश करने वाले वायरस को गले से फेफड़ों तक पहुचने से भी रोकती है।  एमिल फॉर्मास्युटिकल के सहयोग से हुए इस शोध में एयरवैद्य हर्बल धूप में राल, नीम, वासा, अजवाइन, हल्दी, लेमनग्रास, वच, तुलसी, पीली सरसों, चंदन, उसीर, गुग्गल शुद्ध, नागरमोथा, मेंहदी, नागर, लोबान धूप, कपूर तथा जिगट सम्मलित हैं। इस धूप के औषधीय गुणों में वायरस रोधी, सूजनरोधी, सूक्ष्मजीव रोधी तथा इम्यूनिटी बढ़ाना सम्मिलित हैं।

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