
भोपाल, 26 दिसंबर। मध्यप्रदेश में शिवराज कैबिनेट ने रविवार को पंचायती राज संशोधन अध्यादेश को वापस लेने का प्रस्ताव पारित कर दिया। अब स्पष्ट हो गया है कि प्रदेश में पंचायत चुनाव अभी नहीं होंगे। पंचायत चुनाव निरस्त कराने का प्रस्ताव राजभवन भेज दिया गया है। देर शाम अध्यादेश वापस लेने की अधिसूचना जारी हो सकती है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार दोपहर बाद राज्यपाल मंगूभाई पटेल से मुलाकात कर स्थितियों की जानकारी दी। राज्य निर्वाचन आयोग को भी अब पंचायत चुनावों के संबंध में देर शाम या कल तक निर्णय लेना पड़ेगा।
राज्य निर्वाचन आयोग के सूत्रों के अनुसार सरकार के अध्यादेश लागू होने के बाद परिसीमन और आरक्षण की नई व्यवस्था के आधार पर ही पंचायत चुनाव किए जा रहे हैं, किंतु अब वर्तमान प्रक्रिया को विराम देना पड़ेगा। स्पष्ट है कि विधानसभा के संकल्प और अध्यादेश वापस लेने की अधिसूचना जारी होने के बाद वर्तमान चुनाव प्रक्रिया को रोक दिया जाएगा।
कैबिनेट की बैठक के बाद गृहमंत्री डॉ.नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि प्रदेश सरकार पंचायत राज संशोधन अध्यादेश वापस ले रही है। विधेयक विधानसभा में प्रस्तुत होना था, लेकिन नहीं हो सका। अब सरकार राज्यपाल को इस अध्यादेश को वापस करने का प्रस्ताव भेजा गया है। डॉ.मिश्रा के अनुसार राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद निर्वाचन आयोग के सामने कोई और विकल्प होगा नहीं। क्योंकि, इसी अध्यादेश के आधार पर चुनाव कराए जा रहे थे।
विधानसभा में पेश नहीं हुआ पंचायत राज संशोधन विधेयक
विधानसभा के शीतकालीन सत्र में सरकार ने पंचायत राज संशोधन विधेयक प्रस्तुत नहीं किया है। सरकार ने मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम संशोधन अध्यादेश-2021 लागू किया था। इसके तहत पंचायत चुनाव की तैयारियों के बीच सरकार ने ऐसी पंचायतों के परिसीमन को निरस्त कर दिया जहां विगत एक वर्ष से चुनाव नहीं हुए हैं। ऐसी सभी जिला, जनपद या ग्राम पंचायतों में पुरानी व्यवस्था ही लागू कर दी गई थी। इस तरह जो पद, जिस वर्ग के लिए आरक्षित है, उसे यथावत रखा गया था।
आयोग 3 माह में करेगा ओबीसी पर रिपोर्ट
राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ओबीसी की आबादी जिले व तहसीलवार तैयार कर रिपोर्ट बनाएगा। आयोग के अध्यक्ष डॉ.गौरी शंकर बिसेन ने बताया कि इस काम में कम से कम 3 माह का समय लगेगा। उच्चतम न्यायालय के आदेश में कहा गया है कि प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव में ट्रिपल टेस्ट लागू करने के लिए राज्यस्तरीय आयोग के गठन की स्थापना करने का उल्लेख है। यह आयोग इस वर्ग की आबादी की गणना कर सिफारिश सरकार को देगा। इसके आधार पर ही आरक्षण तय किया जाएगा। उच्चतम न्यायलय ने मध्यप्रदेश सरकार से कहा था कि ट्रिपल-टेस्ट का पालन किए बिना आरक्षण पर लिए गए निर्णय को स्वीकार नहीं किया जा सकता। उच्चतम न्यायालय ने राज्य निर्वाचन आयोग से कहा कि कानून के दायरे में ही रहकर चुनाव करवाएं, औऱ OBC के लिए निर्धारित सीटों को सामान्य सीटों में तब्दील करने की अधिसूचना जारी करें। अदालत ने कहा कि कानून का पालन नहीं होगा, तो चुनाव रद्द किया जा सकता है। इस मामले की अगली सुनवाई जनवरी में होगी।
धर्मसंकट में निर्वाचन आयोग
निर्वाचन आयोग के समक्ष धर्मसंकट यह है कि भले ही ओबीसी सीटों पर निर्वाचन प्रक्रिया पर रोक लगा दी है, लेकिन उच्चतम न्यायालय का आदेश है कि सभी सीटों के परिणाम एक साथ घोषित कराना है। अब सरकार नए सिरे से आरक्षण घोषित करती है, तो इस प्रक्रिया में समय लगेगा। ऐसी स्थिति में जिन सीटों में बदलाव होगा, वहां मतदान समय पर हो पाना असंभव होगा।
महाराष्ट्र स्थानीय निकाय चुनाव के लिए उच्चतम न्यायालय ने दिया आदेश
उच्चतम न्यायालय ने 15 दिसंबर को महाराष्ट्र में स्थानीय चुनावों में 27 प्रतिशत OBC सीटों के आरक्षण संबंधी अध्यादेश को रद्द कर दिया था। उच्चतम न्यायालय ने अपने छह दिसंबर के आदेश में परिवर्तन को अस्वीकार कर दिया औऱ कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग अपनी पिछली अधिसूचना में बदलाव करते हुए हफ्ते भर में नई अधिसूचना जारी करे। उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट किया कि अधिसूचना में पिछड़े वर्गों के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण के प्रावधान को रद्द कर दिया जाए। इसके बाद बाकी बची 73 प्रतिशत सीटें सामान्य श्रेणी के लिए रखे जाने की नई अधिसूचना एक हफ्ते में जारी किया जाए।