ग्वालियर, 22 दिसंबर। अब तक पुलिस, सामान्य प्रशासन, स्थानीय निकाय, निर्माण संस्थान, राजस्व संबंधित अधिकारी-कर्मचारी और राजनेता ही आर्थिक-अपराध अनुसंधान व लोकायुक्त पुलिस के चंगुल में फंसते रहे हैं। ग्वालियर की आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने 10 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए विजयाराजा गर्ल्स कॉलेज (वीआरजी) के प्रोफ़ेसर को गिरफ्तार किया है। यह रिश्वत प्रोफ़ेसर भगवान दास माणिक पीएचडी कर रहे अवनीश कुमार से थीसिस अग्रेषित करने के लिए मांगी थी।

प्रोफेसर और कलाकार की गरिमा को लगा रिश्वतखोरी का कलंक

प्रोफेसर को साफसुथरा बुद्धिजीवी माना जाता है। महिला शोधार्थियों के यौनिक-शोषण के आरोप तो उन पर लगते रहे, किंतु शोध-परामर्श के लिए रिश्वत लेते पकड़े जाने वाले ग्वालियर डॉ.माणिक संभवतःपहले प्रोफेसर ही हैं। नृत्य जैसी कला (कत्थक) के सिद्ध कलाकार डॉ.माणिक के पकड़े जाने से कलाकार और प्रोफेसर दोनों की गरिमा कलंकित हुई है।

10 हजार की पहली किश्त देने पहुंचा शोधार्थी, प्रोफेसर हो गए ट्रैप

ईओडब्ल्यू के उप-अधीक्षक यशवंत गोयल नें बताया कि प्रोफेसर और शोध-विद्यार्थी के बीच 50 हजार रुपए में सौदा तय हुआ था। शोधार्थी अवनीश कुमार सिटी सेंटर स्थित प्रोफेसर बीडी माणिक के घर पर उन्हें पहली किश्त के 10 हजार रुपए सौंपने पहुंचा था। ईओडब्ल्यू अधीक्षक को की गई शिकायत के बाद प्रोफेसर को रंगे हाथों पकड़ने की रणनीति बनाई गई थी। पूर्वनियोजित रणनीति के अनुसार मंगलवार शाम जैसे ही शोधार्थी अवनीश कुमार ने सिटी-सेंटर स्थित डॉ.बीडी माणिक को रिश्वत की पहली किश्त सौंपी, सादा कपड़ों में तैनातईओडब्ल्यू की टीम ने रंगे हाथों पकड़ लिया। डॉ.माणिक के विरुद्ध, भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया गया। ज्ञातव्य कि है कि भगवान दास माणिक राजमाता विजयाराजे सिंधिया गर्ल्स कॉलेज में नृत्य विभाग के विभागाध्यक्ष हैं।

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