ग्वालियर, 22 दिसंबर। शिवपुरी के चाय-हॉकर की बेटी दो साल से ऑनलाइन पढ़ाई के लिए मोबाइल का आग्रह कर रही थी। पैसे की तंगी का बहाना किया तो नन्हीं बेटी ने शराब की लत छोड़ने की नसीहत दे डाली। लाड़ली की नसीहत ने ऐसा असर किया कि पिता ने शराब तो छोड़ी ही, शराबनोशी छूटने से हुई बचत और कुछ ऋण की रकम मिला कर 12.5 हजार रुपए का मोबाइल खरीद लिया। बेटी को खुश देख पिता इतना खुश हुआ कि सजी-संवरी बग्घी पर बेटी को बैठा कर उसके हाथ में मोबाइल थमाया, और बैंड-बाजे के साथ स्वागत करते हुए मोबाइल को घर ले गया। बैंड की धुन पर नशे की निरर्थकता का संदेश देता हुआ गाना भी बजता रहा–नशा शराब में होता तो नाचती बोतल…..
बारात का स्वागत तो बैंड-बाजे और डीजे-डांस के साथ तो सभी करते हैं। शिवपुरी के चाय-हॉकर मुरारी ने निर्धन होते हुए भी छोटी-छोटी खुशियों का उत्सव मनाने की सनातन हिंदू परंपरा का जो उदाहरण दिया है वह भागम-भाग की कशमकश में खुश रहना भी भूलती जा रही पढ़ी-लिखी पीढ़ी के लिए प्रेरणास्पद हो सकता है। शहर के नीलगिर चौराहे पर मुरारी कुशवाह साइकिल पर चाय बेचते हैं। मुरारी की नन्हीं बेटी प्रियंका विगत दो वर्ष से मोबाइल दिलवाने का आग्रह कर रही थी। मुरारी ने पैसे के अभाव का हवाला दिया तो बेटी ने शराब की बेकार लत छोड़ देने का उलाहना दिया। बेटी के उलाहने ने मुरारी की आंखें खोल दीं। उसने शराब तो छोड़ी ही, ऋण लेकर 12.5 हजार का मोबाइल खरीद लिया।
मोबाइल पाकर बेहद खुश बच्चों को देख कर मुरारी ने भी इस खुशी का उत्सव मनाने का निश्चय कर लिया। मुरारी ने सजी हुई बग्घी पर बच्चों को बैठाया। मोबाइल थामे बग्घी बर बैठे बच्चों के स्वागत में आतिशबाजी के साथ बैंड-बाजे का भी इंतजाम किया। शराब की लत से निजात पा चुके मुरारी के कहने पर बैंड की धुन पर बॉलीवुड के मिलेनियम-स्टार अमिताभ की फिल्म शराबी का गीत बजाया गया। नशा शराब में होता तो नाचती बोतल….। मोबाइल को घर तक लाने के उत्सव में मुरारी ने 15 हजार रुपए खर्च किए। मुरारी के अनुसार उसने यह सब उसने बच्चों की खुशी के लिए किया है।
छोटी छोटी खुशियों का उत्सव मनाना आता है मुरारी को
मुरारी पहले ठेले पर चाय बेचते थे, अभावों ने ठेले से साइकल हॉकर बना दिया, लेकिन छोटी सी खुशी का भी उत्सव मनाने में मुरारी कभी पीछे नहीं हटे। मोबाइल आने की खुशी का उत्सव मनाने से पूर्व मुरारी ने जब मंदिर के लिए एक हजार रुपये का पंखा व 2100 रुपये का घंटा खरीद कर समर्पित किया था, तब भी उसने साथियों के लिए भांगड़ा और बग्घी का इंतजाम किया था। इस तरह की खुशियां मनाने पर किए गए सवाल के जवाब में मुरारी ने बस इतना कहा–भगवान दे रहा है, और वह करते जा रहे हैं।