भोपाल, 21 दिसंबर। मध्यप्रदेश विधानसभा में मंगलवार को अन्य पिछड़ा वर्ग(OBC) के लिए पंचायत चुनाव में आरक्षण को लेकर बहस के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की है कि मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव में OBC आरक्षण बना रहेगा। इसके लिए केंद्र सरकार उच्चतम न्यालय में अपील करेगी। मुख्यमंत्री ने बताया–विगत तीन दिनों में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के अलावा कानूनविदों से इस संबंध में चर्चा हुई है।
मंगलवार को मध्यप्रदेश विधानसभा में पंचायत चुनाव में OBC आरक्षण के संबंध में लगातार हमलावर कांग्रेस ने स्थगन प्रस्ताव प्रस्तुत किया था। चर्चा इस पर बहस के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा– उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का बहाना न बनाएं। हम अब एक साथ न्यायालय चलते हैं। सदन सर्वसम्मति से इसे पास करे कि ये स्वीकार है या नहीं।
पंचायत चुनाव की वर्तमान में चल रही प्रक्रिया के जारी रहने न रहेने पर अभी संशय बना हुआ है। विधानसभा में नगरीय विकास व आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार एक-दो दिन में इस संबंध में फैसला लेगी। ज्ञातव्य है कि उच्चतम न्यायलय के निर्देश हैं कि OBC सीटों को सामान्य घोषित कर अधिसूचना जारी की जाए। जबकि, राज्य निर्वाचन आयोग ने OBC के लिए आरक्षित सीटों को छोड़कर शेष पर निर्वाचन की प्रक्रिया को सतत रखा है।
OBC आरक्षण पर गतिरोध के लिए कांग्रेस जिम्मेदार, रोटेशन के विरुद्ध लगआ थी याचिका–शिवराज सिंह
शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को कहा कि कांग्रेस के प्रतिनिधियों ने रोटेशन के विरुद्ध याचिका लगाई थी, उसी पर सुनवई करते हुए OBC आरक्षण पर रोक लगाने का निर्णय पारित हुआ है। स्पष्ट है कि पंचायत चुनाव में OBC आरक्षण पर वर्तमान गतिरोध के लिए कांग्रेस ही पूरी तरह से जिम्मेदार है। शिवराज ने आगे कहा–हमारी सरकार ने सभी वर्गों के हितों के लिए काम किए हैं। हम OBC के हितों की रक्षा के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। विपक्ष साथ दे तो ठीक नहीं तो उसके बिना भी अपना अभियान जारी रखेंगे।
कांग्रेस ने 27 प्रतिशत आरक्षण का किया दिखावा–शिवराज सिंह
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विदासबा में कहा कि कांग्रेस सरकार ने 27 प्रतिशत आरक्षण देने का दिखावा किया था, उस वक्त लोकसभा के चुनाव थे, किंतु जब मध्यप्रदेश उच्च न्यायलय में इस आरक्षण को चुनौती दी गई, तब तत्कालीन महाधिवक्ता ने पैरवी नहीं की थी। कमजोर पक्ष रखे जाने के कारण उच्च न्यायालय ने उस पर स्थगनादेश जारी कर दिया था। शिवराज ने दोहराया कि हमारी सरकार ने OBC को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का काम किया है। जिन मामलों में उच्च न्यायालय में याचिका लंबित है, उन्हें छोड़कर सभी जगह 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है। कई नियुक्तियों में आरक्षण का लाभ अभ्यर्थियों को मिल भी चुका है।
कोर्ट में क्यों नहीं बोले कांग्रेस के वकील
शिवराज ने विधानसभा में कहा–जब उच्चतम न्यायालय में निर्णय आ रहा था तब कांग्रेस के विद्वान अधिवक्ता न्यायालय में ही थे। उस समय उन्होंने यह क्यों नहीं कहा कि वह अपनी याचिका वापस ले रहे हैं। उनकी मंशा यही थी कि कैसे भी चुनाव पर रोक लग जाए। शिवराज सिंह ने दावा किया कि हम जो अध्यादेश लाए थे वह नियमों के तहत ही था। मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने OBS की पीठ में छुरा घोंपने का काम किया है।
उच्चतम न्यायालय ने कांग्रेस की याचिका पर OBC आरक्षण पर लगाई थी रोक
ज्ञातव्य है कि उच्चतम न्यायालय का आदेश आने बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने OBC के लिए रिजर्व जिला पंचायत सदस्य, जनपद, सरपंच व पंच के पदों के निर्वाचन की प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। इसके साथ ही पंचायत विभाग ने जिला पंचायत अध्यक्ष पद के आरक्षण पद के लिए आरक्षण प्रक्रिया पर भी रोक लगा दी थी। आयोग ने इसके बाद 18 दिसंबर को सरकार को कोर्ट की प्रति भेजकर सात दिन में आरक्षण की प्रक्रिया पूरी कर जानकारी देने के लिए पत्र भेजा था।