ग्वालियर, 20 दिसंबर। ग्वालियर-चंबल अंचल में शीत के प्रकोप से जन-जीवन ठिठुर सा गया है। रविवार रात न्यूनतम तापमान 1.8 डिग्री सेल्सियस रहने के बाद सोमवार की सुबह भी उतनी ही सर्द रही। लगातार जारी कड़ाके की शीत से जन मानस हीटर और रजाइयों में राहत पा रहा है। वन्य जीव भी धूप के कोने तलाश रहे हैं। ऐसी स्थिति में शहर के गांधी प्राणी उद्यान ने भी वन्य परिवार को शीत से बचाने पुख्ता प्रबंध कर लिए हैं। रिकार्ड शीत से कांपा शहर, चिड़िया घर का वन्य परिवार भी तलाश रहा धूप….

ग्वालियर इस समय शीतलहर की चपेट में है। लगातार दूसरे दिन न्यूनतम तापमान 1.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। इससे पहले दिसंबर 1994 में पारा 1.4 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया था। ग्वालियर में 2013-14 में भी शीत के रिकार्ड बने थे, किंतु दिसंबर का अभी तक का सबसे कम तापमान साल 1961 में –0.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ था।

चिड़िया घर में वन्य जीवों को शीत से बचाने हुए विशेष प्रबंध

जनमानस ने तो अपने लिए गर्म कपड़ों-रजाई-कंबल व अलाव का प्रबंध कर ही लिया है, शहर के गांधी प्राणी उद्यान प्रशासन ने भी मौसम के शीत-आतंक से लगभग 550 से भी अधिक ज्यादा वन्य जीव परिवार की विशेष देखरेख प्रारंभ कर दी है। पक्षियों के पिजरों को चटाई से घर कर अधिक ऊष्म विद्युत-बल्व लगाए गए हैं। शेर प्रजाति के पिंजरों में भी रूम-हीटर और अधिक ऊष्म विद्युत-बल्व लगाए गए हैं। शीत के आतंक के बाद भी राहत की बता यह है कि सूर्य देव भी प्रखर धूप से श्रृष्टि की रक्षा में तत्पर है। चिड़ियाघर के जानवर भी धूप देखते ही अपने पिजरों से बाहर आकर शरीर को गर्मी पहुंचा रहे हैं।

शरीर गर्म रहे इसलिए भोजन भी विशेष

चिड़ियाघर प्रबंधन ने वन्य जीवों के भोजन-पानी में भी बदलाव किया है। शीत की ऋतु-संगत सब्जियों के अलावा मैथी, लहसुन, पालक आदि पत्तेदार शाक की मात्रा बढ़ाई गई है। वन्य जीव विशेषज्ञ डॉ.उपेंद्र यादव ने बताया कि  ऋतु के अनुकूल अथवा गर्म तासीर वाले फल और शाक खाने से उनके शरीर का तापमान शीत के अनुकूल बनाया जा सकता है।

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