ग्वालियर, 19 दिसंबर। अशोकनगर की एक युवती को शादी के माह बाद ही मां बन गईतो ससुराल में हंगामा हो गया। समाज में सवाल उठते देख  सास-ससुर ने बच्चे को अवैध कहते हुए नई नवेली बहू को घर से निकाल दिया। सामाजिक अपमान से आहत युवती ने लाख सफाई दी कि बच्चा पति का ही है, लेकिन खुलकर नहीं बता सकी कि विवाह से पहले ही दोनों के  प्रेम-विवाह कर शारीरिक संबंध बना चुके थे। पति भी सब कुछ जानने के बावजूद मौन साधे रहा। अंततः पीड़ित नवविवाहिता को कुटुम्ब न्यायालय के मध्यस्थता विभाग की शरण में जाना पड़ा। यहां मामला खुला और पति से DNA के लिए कहा गया तो उसने स्वीकार कर लिया की दोनों लंबे समय से मिलते रहे थे, इसलिए पत्नी विवाह से पूर्व ही गर्भवती हो गई थी। बात परिवार की समझ में आ गई और उन्होंने बहू और उसके बच्चे को अपना लिया।

DNA  कराने को कहा तो पति ने उगला राज
कुटुंब न्यायालय के सोशल मीडिया पर मीडिएशन सेल पर अशोक नगर की एक 25 वर्षीय युवती ने संपर्क किया। उसने बताया कि 30 मई 2020 को उसने लव मैरिज की थी। उसने 10 दिसंबर 2020 को बच्चे को जन्म दिया। शादी के छह महीने बाद ही बच्चे के जन्म से ससुराल में हंगामा हुआ औऱ हर ओर से लांछन मिलने लगे। समाज औऱ रिश्तेदार समेत सास-ससुर व दूसरे परिजन भी उसके चरित्र पर उंगली उठाने लगे, दुधमुंहे बच्चे को भी अवैध कह कर दुत्कारा जाने लगा। पीड़िता ने बताया कि सब कुछ जानते हुए भी पति मौन रहा, यहां तक कि जब उसे ससुराल से निकाल दिया गया तो पति ने भी साथ रखने से इनकार कर दिया।

DNA टेस्ट की नौबत आई तो पति ने स्वीकार किया–बच्चा उसी का
कुटुंब न्यायालय में पति-पत्नी औऱ ससुरालियों के बीच काउंसलिंग प्रारंभ कराई और गुना निवासी पति से संपर्क किया। पहले तो वह बच्चे को अपना न मानते हुए पत्नी के विरुद्ध ही बना रहा। किंतु, जब काउंसिलिंग टीम ने खुलासा किया कि उनका प्रेम-विवाह हुआ है और परिवार के समक्ष विवाह से पूर्व दोनों का मंदिर में गंधर्व विवाह भी हो चुका है। साथ ही यह भी खुलासा किया गया कि इससे बहुत समय पूर्व से वह पत्नी से शारीरिक संबंध बनाता रहा है। इस पर भी मौन बने रहने पर पति से बच्चे व उसक DNA मैच कराने के लिए कहा गया। इस पर पति समझ गया यदि बच्चे को वह अपना स्वीकार नहीं करेगा तो उसके विरुद्ध विवाह का झांसा देकर दुष्कर्म करने और मुकर जाने का मामला दर्ज किया सकता है। अंततः उसने मान लिया कि बच्चा उसका ही है, किंतु समाज व परिवार के भय से मौन रहा। काउंसिलिंग टीम ने पति को समझाया कि अब वह अपने परिवार और समाज के लोगों के समक्ष स्वीकार करे कि बच्चा उसका है, और प्रेम-विवाह के  पूरे नौ महीने बाद ही पैदा हुआ है। पति ने परिवार को सारी सच्चाई बताई, तो परिवार ने भी बहू और बच्चे को पूरी प्रसन्नता के साथ स्वीकार कर लिया। हालांकि ससुराल वालों और पति के पास इसका जवाब और भरपाई नहीं है कि विवाहित होते हुए भी युवती को दिसंबर 2020 से दिसंबर 2021 तक सामाजिक अपमान और नतीजतन मानसिक पीड़ा झेलनी पड़ी।

फेसबुक पर दोस्ती प्यार में बदली औऱ मंदिर में कर लिया विवाह
पीडिता ने बताया कि फेसबुक पर उसकी पहचान गुना निवासी पति से हुई थी। चैट करते-करते प्यार हो गया तो दोनों मिलने लगे। परिजन के समक्ष उनका विवाह 30 मई 2020 में हुआ था, किंतु उससे पूर्व ही वह मंदिर में गंधर्व-विवाह के बंधन में बंध चुके थे। इसके बाद उसने पति के साथ शारीरिक संबंध भी लगातर बनाए थे। परिणाम स्वरूप उसने दिसंबर 2020 में बच्चे को जन्म दिया। जिसे ससुराल वालों ने गलत समझ लिया।

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