नई दिल्ली, 26 नवंबर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को संविधान दिवस के अवसर पर संसद में आयोजित एक विशेष आयोजन में विपक्षी दलों पर जमकर निशाना साधा। प्रधानमंत्री ने कहा–भारत अब एक संकट की ओर बढ़ रहा है, जो कि संविधान पर भरोसा रखने वालों के लिए बड़ी चिंता की बात है। ज्ञातव्य है कि शुक्रवार को संविधान दिवस के अवसर पर संसद के केंद्रीय हॉल में आयोजित कार्क्र्म में 14 विपक्षी दलों के सांसद अनुपस्थित रहे। पार्टी फॉर द फेमिली, पार्टी बाय द फेमिली…..
प्रधानमंत्री मोदी ने संविधान दिवस कार्यक्रम के दौरान कहा कि भारत एक ऐसे संकट की तरफ बढ़ रहा है, जो संविधान के प्रति समर्पित लोगों के लिए चिंता का विषय है, लोकतंत्र के प्रति आस्था रखने वालों के लिए चिंता का विषय है, और वह है पारिवारिक पार्टियां। योग्यता के आधार पर एक परिवार से एक से अधिक लोग जाएं, इससे पार्टी परिवारवादी नहीं बन जाती है। लेकिन एक पार्टी की पीढ़ी दर पीढ़ी राजनीति में है। इस पार्टी में ‘पार्टी फॉर द फेमिली, पार्टी बाय द फेमिली’ ही पार्टी का संविधान है।
इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि राजनीतिक दल भी संविधान को जन जन तक पहुंचाने का महत्वपूर्ण अंग है। लेकिन, संविधान की भावना को भी चोट पहुंची है, संविधान की एक-एक धारा को भी चोट पहुंची है, जब राजनीतिक दल अपने आप में अपना लोकतांत्रिक कैरेक्टर खो देते हैं। जो दल स्वयं लोकतांत्रिक कैरेक्टर खो चुके हों, वो लोकतंत्र की रक्षा कैसे कर सकते हैं।
जानिए, संविधान दिवस पर संसद में क्या बोले प्रधानमंत्री मोदी
1. प्रधानमंत्री ने कहा कि यह कार्यक्रम किसी राजनीतिक दल का नहीं था। किसी प्रधानमंत्री का नहीं था। यह कार्यक्रम स्पीकर पद की गरिमा थी। हम संविधान की गरिमा बनाए रखें। हम कर्त्तव्य पथ पर चलते रहें।
2. कांग्रेस समेत राजनीतिक दलों के कार्यक्रम में न आने पर मोदी ने कहा, “इस कदम से संविधान की भावना को चोट पहुंची है। इसकी एक-एक धारा को चोट पहुंची है।”
3. पीएम ने कहा–तब जब राजनीतिक दल लोकतांत्रिक चरित्र खो चुके हों। वो लोकतंत्र की रक्षा कैसे कर सकते हैं। एक राजनीतिक दल, पार्टी फॉर द फैमिली, पार्टी बाय द फैमिली… आगे कहने की जरूरत नहीं लगती।”
4. महात्मा गांधी ने आजादी के आंदोलन में अधिकारों के लिए लड़ते हुए भी देश को कर्त्तव्यों के लिए तैयार करने की कोशिश की थी। वह स्वदेशी, आत्मनिर्भर भारत का विचार लाए थे। महात्मा गांधी देश को तैयार कर रहे थे। उन्होंने जो बीज बोए थे वे वटवृक्ष बन जाने चाहिए थे। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ। अच्छा होता देश आजाद होने के बाद कर्त्तव्य पर बल दिया गया होता तो अधिकारों की अपने आप रक्षा होती।”
5. मोदी ने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा–अगर एक पार्टी कई पीढ़ियों तक एक ही परिवार के हाथ में रही, तो यह स्वस्थ लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है। यह संविधान के सिद्धातों के खिलाफ है, उसके बिल्कुल उलट जो संविधान हमें बताता है।
6. वंशवादी पार्टियां उन लोगों के लिए बड़ी चिंता का विषय हैं, जो देश के संविधान की रक्षा करना चाहते हैं। भारत एक संकट की ओर बढ़ रहा है।
7. वंशवादी राजनीति का अर्थ यह नहीं कि किसी परिवार का कोई व्यक्ति राजनीति में नहीं आ सकता। अपने सामर्थ्य और लोगों के आशीर्वाद से कोई भी राजनीति में शामिल हो सकता है।
8. मोदी ने गांधी परिवार पर हमला करते हुए कहा, “लेकिन अगर कोई राजनीतिक दल-पीढ़ी दर पीढ़ी, एक ही परिवार द्वारा संचालित हो रहा है, तो वह लोकतंत्र के लिए खतरा बन जाता है।”
9. पीएम ने आगे कहा, “देश उन लोगों को नहीं सुनना चाहता, जो उस दिन पर सवाल उठाते हैं जिसे संविधान के लागू होने के लिए तय किया गया था और जिस पर बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर का नाम जुड़ा है।”
10. हमारा संविधान सहस्त्रों वर्षों की महान परंपरा, अखंड धारा की अभिव्यक्ति है। इसलिए हमारे लिए संविधान के प्रति समर्पण और जब हम इस संवैधानिक व्यवस्था से जन प्रतिनिधि के रूप में ग्राम पंचायत से लेकर संसद तक जो भी दायित्व निभाते हैं, हमें संविधान के भाव से अपने आप को सज्ज रखना होगा। संविधान को कहां चोट पहुंच रही है उसे भी नजरअंदाज नहीं कर सकते।