बलिदान और साहस की प्रतीक है रानी लक्ष्मीबाई, बलिदान स्थली से कलश में ले गईं मिट्टी  

ग्वालियर, 13 नवंबर। ग्वालियर में एक दिन के प्रवास पर शनिवार को आईं मध्यप्रदेश की संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर अमर शहीद बिरसा मुण्डा की जयंती पर भापाल में प्रस्तावित आयोजन के लिए रानी लक्ष्मी बाई की समाधि स्थल की माटी कलश में लेकर भोपाल रवाना हो गईं। इस दौरान संवाद माध्यमों ने कंगना रनौत के बयान पर सवाल उठाए तो संस्कृति मंत्री ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि आजादी कहा–आजादी कभी भीख में नहीं मिलती, इसके लिए देश वासियों ने 1857 से 1947 तक अगणित बलिदान दिए हैं।  कंगना के बयान पर संभल का बोलीं ऊषा ठाकुर, कहा–आजादी भीख में नहीं मिलती….

अपने तेज-तर्रार और कट्टर सनातनवादी बयानों के लिए जानी जाने वाली मध्यप्रदेश की संस्कृति मंत्री ऊषा ठाकुर आईं तो संवाद माध्यमों को उनसे सुर्खियों वाले बयान की अपेक्षा होना लाजिमी था। यद्यपि ग्वालियर में संवाद माध्यमों के प्रश्नजाल में वह नहीं उलझीं। ऊषा ठाकुर से फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत के बयान पर प्रतिक्रिया मांगी गई तो वह संतुलित रहीं और बोलीं–भीख में तो आजादी मिल ही नहीं सकती। आजादी लाखों लोगों के बलिदान से उनके त्याग तपस्या से मिली है। 1857 से 1947 तक जो कोई भी देश, धर्म व संस्कृति की रक्षा के लिए कर गए हैं उन सब शहीदों को प्रणाम है।   

कंगना ने कहा था–1947 में अंग्रेजों से भीख में मिली थी आजादी

ज्ञातव्य है कि कंगना ने कहा था कि 1947 में मिली आजादी तो अंग्रेजों से भीख में मिली थी। देश को असली आजादी तो 1947 में मिली है। अपने बयान पर अडिग कंगना ने बचाव में कहा है–जहां तक 2014 में मिली आजादी की बात है तो मैंने साफ तौर पर कहा था कि शारीरिक आजादी हमारे पास थी, लेकिन भारत की चेतना और विवेक साल 2014 में मुक्त हुए। एक मृत सभ्यता जीवित हुई और उसने अपने पंख फैलाए, अब वह चीख रही है और उड़ रही है।

हबीबगंज स्टेशन का नाम बदले जाने पर जताई खुशी

भोपाल के हवीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति के नाम पर रखे जाने पर ऊषा ठाकुर ने खुशी जताते हुए कांग्रेस के विरोध को उनकी विरोधी मानसिकता क़रार दिया। उन्होंने कहा कि रानी कमलापति का नाम बेहद पावन है, उनके नाम पर किसी को आपत्ति नहीं होना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *