ग्वालियर, 29 अक्टूबर। उत्तरप्रदेश चुनाव और योगी आदित्यनाथ फैक्टर ने धर्मनिरेक्षता के दिग्गज ध्वजवाहकों को भी हिंदू देवी-देवताओं में आस्था प्रकट करने पर विवश कर दिया है। अयोध्या में राम मंदिर की जगह अस्पताल बनवाने की वकालत करने वाली पार्टी के दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अयोध्या में रामलला की शरण में शीश नवाने जा पहुंचे। कांग्रेस के सुप्रीम भाई-बहन भी अपने कथित कश्मीरी ब्राह्मण गोत्र के साथ मंदिर-मंदिर जाकर हिंदुओं को रिझाने के प्रयास में जुटे हैं। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा अपनी इसी मुहिम के तहत शुक्रवार को अचानक दतिया में मां पीतांबरा की शरण में जा पहुंचीं।

शुक्रवार दोपहर कांग्रेस की उत्तरप्रदेश सिपहसालार प्रियंका गांधी वाड्रा का काफिला अचानक दतिया में मां पीतांबरा पीठ के सामने रुका। उस समय माई के विश्राम का समय था, इसलिए मंदिर प्रबंधन ने प्रियंका को दो बजने तक प्रतीक्षा करने को कहा। पट खोले जाने तक प्रतीक्षा के बाद प्रियंका गांधी वाड्रा को माई के दरबार में प्रवेश मिला। हालांकि प्रियंका को यहां विशिष्ट दर्जे के बगैर साधारण दर्शनार्थियों  की तरह ही पूजा-अर्चना करनी पड़ी।

आधा घंटे गर्भगृह के बाहर बैठ प्रतीक्षा करती रही प्रियंका वाड्रा

पीताम्बरा पीठ प्रबंधन के अनुसार प्रियंका गांधी वाड्रा मंदिर में दोपहर 01:45 बजे पहुंची। तब माई का विश्राम काल चल रहा था। प्रियंका को प्रतीक्षा के लिए कहा गया। इस दौरान वह गर्भ ग्रह के बाहर बैठकर ध्यान करती रहीं। पट खोले जाने के बाद उन्होंने गर्भग्रह में विधिवत पूजा की। प्रियंका गांधी वाड्रा और उनकी मां को भले रामसेतु के अस्तित्व पर विश्वास न हो, किंतु हिंदू पुनर्जागरण के वर्तमान कालखण्ड में उत्तरप्रदेश चुनाव की वैतरिणी पार करने के लिए तो अब उन्हीं देवी-देवताओं की शरण में जाना पड़ रहा हैं, जिनके अस्तित्व पर ही उनकी पार्टी सवाल उठाया करती थी।

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