सतना, 21 अक्टूबर। कश्मीर के शोपियां में एनकाउंटर में शौर्य प्रदर्शित करते हुए वीर गति के प्राप्त हुए सतना के वीर जवान कर्णवीर सिंह राजपूत की अंतिम यात्रा में जो भीड़ उमड़ी वह दिखाती है कि देश के दिल में शहीदों के प्रति कितना सम्मान और स्नेह है। मध्यप्रदेश में सतना के दललदल गांव के 26 साल के कर्णवीर रिटायर्ड फौजी राजू सिंह के बेटे थे। दो आतंकियों को मारने के बाद गोलीबारी में जख्मी होकर शहीद हुए 21 राजपूत रेजिमेंट 44RR में तैनात कर्णवीर सिंह के पिता और दादा दोनों ने बेटे की शहादत को देश-प्रदेश और सतना का मान बढ़ाने वाला निरूपित किया है। शरद-पूर्णिमा को प्रकट हुआ सतना का अभिमन्यु शरद-पूर्णिमा को ही पाई वीरगति….

ज्ञातव्य है कि शहीद कर्णवीर 1998 में शरद पूर्णिमा की रात को ही जन्मे थे औऱ शरद पूर्णिमा की रात ही वीरगति को प्राप्त हुए। शहीद कर्णवीर मूलत: सतना जिले के ग्राम दलदल के रहने वाले थे। सेना के सूत्रों के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात आतंकियों के साथ मुठभेड़ में सतना की पूनम के चांद कर्णवीर ने पहले दो आतंकियों को ढेर कर दिया था। सुबह करीब 4 बजे आतंकियों की गोली उनके सिर और सीने पर लगी। इस मुठभेड़ में पांच और जवान भी घायल हुए थे।

बलिदान से एक दिन पूर्व पिता को किया था फोन, लेकिन नहीं हो सकी बात  

दो भाइयों में कर्णवीर छोटे थे, अभी उनका विवाह नहीं हुआ था। मंगलवार को सुबह उन्होंने पिता को कॉल किया, लेकिन बात नहीं हो सकी। बुधवार दोपहर 12 बजे पिता को सूचना मिली कि उनके चांद ने देश की रक्षा करते हुए अपने जीवन को होम कर दिया है। सूचना मिलते ही क्षेत्र में सन्नाटा पसर गया, मां बेसुध हो गई। क्षेत्र के विधायक विक्रम सिंह विक्की और अपर कलेक्टर राजेश शाही शहीद के परिवार को ढांढस बंधाने पहुंच गए।


बेटे की शहादत पर पिता व दादा को है फ़ख़्र, पिता भी रहे थे सेना में

संवाद सूत्रों के अनुसार बुधवार को आतंकी कार से आए थे। उन्होंने फायरिंग शुरू कर दी। क्रॉस फायरिंग में दो आंतकी ढेर हो गए, लेकिन कर्णवीर को भी दो गोलियां लगीं और वह शहीद हो गए। कर्णवीर 2017 में सेना में भर्ती हुए थे औऱ वर्तमान में सूबेदार थे। दो महीने पहले ही वह सतना आए थे। शहीद कर्णवीर के पिता रवि कुमार सिंह भी सेना में सूबेदार-मेजर के पद से सेवानिवृत हुए थे। शहीद कर्णवीर सिंह के पिता रिटायर्ड मेजर रवि कुमार सिंह ने बेटा के बलिदान पर कहा–मेरा बेटा देश के लिए शहीद हुआ है और मैं सीना चौड़ा कर के चल सकता हूं। मरना जीना तो लगा रहता है, लेकिन सेना में इज्जत-सम्मान है, इसलिए मैंने अपने बेटे को भी सेना में भेजा था। रवि कुमार सिंह ने बताया कि मंगलवार को आखिरी बार हुई संक्षिप्त चर्चा में कर्णवीर ने कहा था कि अगली बार 10 -12 दिन की छुट्टी लेकर आउंगा तब आपको दिल्ली हॉस्पिटल में दिखाने ले चलूंगा। आज ये खबर आ गई। दादा सूर्य प्रताप सिंह ने कहा-मेरा नाती आतंकियों को मार के मरा। वो सच्चा कर्णवीर था। मेरा बेटा भी फौज में था और सूबेदार मेजर बन कर 32 साल की सेवा के बाद सेवानिवृत हुआ था। बेटे की सकुशल घर वापसी की खुशी हुई थी और अब नाती की शहादत का गर्व भी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *