नई दिल्ली, 07 सितंबर। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर उज्जैन के विमानपत्तन केंद्र के विकास के लिए आवश्यक भूमि और 200 करोड़ की पूंजी मांगी है। केंद्रीय मंत्री ने पत्र में लिखा है– प्रदेश के विभिन्न हवाई अड्डों के विकास से संबंधित आपका सहयोग अपेक्षित है।
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्यप्रदेश की वायुसेवाओं में विस्तार के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय की जिम्मेदारी संभालते ही सक्तिय हो गए। ग्वालियर, जबलपुर और इंदौर को कई बड़े शहरों से जोड़ने वाली उड़ाने शुरू करवाने के साथ ही इंदौर और जबलपुर हवाई अड्डे के विस्तारीकरण की शुरुआत भी कर चुके हैं। ग्वालियर में राजमाता विजयाराजे सिंधिया विमानतल की विस्तार परियोजना पर भी काम सुरू हो चुका है। अब सिंधिया महाकाल की नगरी उज्जैन में भी विमानतल बनवाना चाहते हैं, देश-विदेश से श्रद्धालु पहुंच सकें। ज्ञातव्य है कि उज्जैन में महज एक विमानपत्तन पट्टी है। यहां छोटे विमान या हैलीकाप्टर उतारे जा सकते हैं। उज्जैन वायुमार्ग से पहुंचने के लिए एक मात्र विकल्प इंदौर आकर वहां से सड़क मार्ग का प्रयोग है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर प्रदेश सरकार के स्वामित्व वाली उज्जैन विमानपत्तन पट्टी का विस्तार कर विमानतल विकास के लिए आवश्यक भूमि और 200 करोड़ रुपए अनुमानित पूंजी व्यय हेतु उपलब्ध करवाने का अनुरोध किया है।
पत्र में लिखा है–प्रदेश के विभिन्न हवाई अड्डों के विकास से संबंधित आपका सहयोग अपेक्षित
सिंधिया ने मंगलवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लिखे पत्र में 27 अगस्त को लिखे अपने एक पत्र का संदर्भ भी याद दिलाया है। उन्होंने लिखा है कि प्रदेश के विभिन्न हवाई अड्डों के विकास से संबंधित आपका सहयोग अपेक्षित है। उज्जैन हवाई पट्टी की हवाई दूरी इंदौर के देवी अहिल्याबाई होल्कर हवाई अड्डे से 42 किलोमीटर दूर है। जबकि सड़क मार्ग से इसती दूरी 55 किलोमीटर है। उज्जैन हवाई पट्टी पर मौजूदा भूमि लगभग 95.0 एकड़ उपलब्ध है। आरसीएस उड़ान योजना के अंतर्गत उज्जैन हवाई पट्टी के लिए अब तक कोई बोली नहीं प्राप्त हुई है, लेकिन उज्जैन में विमान तल की बहुत आवश्यक है। सिंधिया ने लिखा है कि भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण की ओर से उज्जैन हवाई अड्डे के मास्टर प्लान का अवलोकन किया गया यहां एटीआर 72 विमान के परिचालन के लिए फेज-1 में विकास के लिए अतिरिक्त 252 एकड़ भूमि और एयरबेस 320 एकड़ भूमि की जरूरत है। साथ सही, उज्जैन-देवास राजमार्ग और उसके पूर्व में सड़क का डायवर्जन भी जरूरी है। इसलिए फेज-1 में एटीआर72 विमान के परिचालन के लिए आवश्यक भूमि उपलब्ध कराने के साथ ही 200 करोड़ रुपए की पूंजी वहन करें।