ग्वालियर, 30 अगस्त। निजी अस्पताल कितने संवेदनहीन हो गए इसके उदाहरण तो आए दिन मिलते ही रहते हैं। शहर के विवादास्पद KM अस्पताल ने सोमवार कृष्ण-जन्माष्टमी के दिन भी निर्धन पिता की 35 दिन चिकित्सा के बाद मरी बेटी का शव देने से इंकार कर दिया। पहले से ही विवादास्पद रहे इस अस्पताल के प्रबंधन ने एक बार फिर अपनी पाषाण संवेदनाओं का परिचय दे दिया। अस्पताल का देयक दो लाख रुपए से भी अधिक हो गया था। हालांकि बेचारा पिता भुगतान 10 दिन बाद करने को तैयार था। हंगामा बढ़ता देख प्रबंधन ने विवश पिता से बकाया भुगतान के लिए ऋण-पत्रक लिखवा कर हस्ताक्षर करा लिए, तभी उसे बेटी का शव मिल सका।  

ऋण-पत्रक भरवा लिया तब सौंपा निर्धन पिता को बेटी का शव

मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ की यशोदाबाई 25 जुलाई को ग्वालियर के पड़ाव चौराहे के पास स्थित केएम हॉस्पिटल में भर्ती
कराया गया था। महिला के दिमाग की शल्य-क्रिया की गई थी। अस्पताल प्रबंधन ने करीब 2.25 लाख रुपए का देयक थमाया, लेकिन निर्धन परिवार की क्षमता देयकों के भुगतान की थी ही नहीं। परिजन ने यशोदा का शव मांगा तो अस्पताल प्रबंधन ने पहले चिकित्सा-देयकों के भुगतान पर अड़ गया। काफी देर तक दोनों पक्षों में विवाद होता रहा। मामला बढ़ता देख अस्पताल प्रबंधन ने 50 हजार रुपए का ऋण-पत्रक यशोदा के पिता धर्मू अहिरवार से लिखवा लिया तभी शव सौंपा गया। ऋण-पत्रक में लिखा गया है कि निर्धन पिता
10 दिन बाद 50,000 रुपए का भुगतान अस्पताल प्रबंधन करेगा। 

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