सिंधिया राजवंश के मुखिया ज्योतिरादित्य ने दी शुभकामनाएं

ग्वालियर, 30 अगस्त। फूलबाग परिसर में बने गोपाल मंदिर में जन्माष्टमी के दिन राधा-कृष्ण का श्रंगार हर वर्ष की तरह इस बार भी अरबों के धरोहर-मूल्य वाले शाही आभूषणों  से श्रृंगार किया गया। इनका धरोहर-मूल्य अरबों में इसलिये है क्योंकि ये सिंधिया राजवंश के सदियों पुराने खजाने के हैं। रियासत की महारानी विजयाराजे सिंधिया ने इन्हें भगवान को समर्पित किए गए थे। जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर राजवंश के वर्तमान मुखिया केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य ने ग्वालियर-चंबल समेत देश भर के नागरिकों को ट्विटर पर शुभकामनाएं दी हैं।

जन्माष्टमी को श्रंगार के साथ चांदी के बर्तनों में लगता है राध-कृष्ण को भोग

परंपरा के निर्वाह के लिए राधा-कृष्ण के राजसी आभूषण पुलिस की कड़ी सुरक्षा में बैंक लॉकर से निकालकर लाए गए और फिर राजमाता विजयाराजे के  आराध्य राधा-कृष्ण का श्रृंगार किया गया। राधा-कृष्ण को 700 ग्राम वजनी सोने के कंगन, दो कंठहार, बांसुरी, रत्नजड़ित मुकुट, जिनमें हीरा, माणिक, पन्ना व मोती जड़े हुए हैं, पहनाए गए। सिंधिया राजवंश के कोष से समर्पित ये आभूषण अब नगर निगम के स्वामित्व में हैं। आभूषण लंबे समय तक बैंक के लॉकर में रखे रहे, लेकिन 2007 में तत्कालीन महापौर विवेक शेजवलकर की पहल पर आभूषण नगरन निगम के स्वामित्व में आ गए। उसके बाद कड़ी सुरक्षा व्यवस्था इनसे गोपाल मंदिर में राधा-कृष्ण का श्रंगार हर जन्माष्टमी को किए जाने की परंपार विकसित हो गई। जन्माष्टमी के दिन राजमाता के आराध्य को उनके द्वारा ही समर्पित चांदी के बर्तनों में भोग लगाया जाता है।

इन राजसी धरोहरों से होता है राधा-कृष्ण का श्रंगार  

सात लड़ी वाला एक कंठा, पांच लड़ी वाला एक कंठा,700 ग्राम वजनी सोने के ठोस कंगन, दो रत्न जड़ित मुकुट, 10 चांदी के थाल, प्याले, फूलदान, प्रसाद पात्र, पायलें सम्मिलित है। इन आभूषण में माणिक, पन्ना, मोती, हीरा आदि बहुमूल्य रत्न जड़े हैं।

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