





ख़बर ख़बरों की डेस्क, 27 अगस्त। अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के हामिद क़रज़ई इंटरनेशनल एयरपोर्ट के ठीक सामने गुरुवार शाम दो फिदायीन हमले हुए। हमले में अब तक 108 लोग मारे जा चुके हैं और 1383 जख्मी हैं। एजेंसी सूत्रों के मुताबिक आतंकी संगठन ISIS के खुरासान ग्रुप ने हमले की जिम्मेदारी ली है। अमेरिकी सेंट्रल कमांड के जनरल कैनेथ मैकेंजी ने कंफर्म किया है कि मरने वालों में 13 अमेरिकन मरीन कमांडो और 28 तालिबानी भी शामिल हैं।
सूत्रों के मुताबिक हाल ही में तीन और धमाकों की सूचना आई है। हालांकि, यह नहीं कहा जा सकता कि विस्फोट एयरपोर्ट के पास हुए या नहीं। साथ ही दारुलअमन इलाके में भारी गोलीबारी जारी होने की भी सूचना मिली है।
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने कहा–गुरुवार को हामिद करजई इंटरनेशनल एयरपोर्ट के अब्बे गेट पर पहला ब्लास्ट हुआ। कुछ ही देर बाद एयरपोर्ट के नजदीक बैरन होटल के पास दूसरा धमाका हुआ। यहां ब्रिटेन के सैनिक ठहरे हुए थे। एयरपोर्ट के बाहर तीन संदिग्धों को देखा गया था। इसमें से दो आत्मघाती हमलावर थे, जबकि तीसरा बंदूक लेकर आया था। मरने वालों का आंकड़ा बढ़ने की आशंका है।
हमला करने वाले आतंकी की हुई पहचान, फोटो भी जारी हुआ
काबुल एयरपोर्ट पर बम से हमला करने वाले आतंकी की पहचान कर ली गई है। जानकारी के मुताबिक हमला करने वाला आतंकी अब्दुल रहमान अल लोघरी ISIS-हक्कानी आंतकी संगठन का सदस्य था।
30 अगस्त की शाम तक झुका रहेगा अमेरिकी ध्वज, बाइडन बोले–हम माफ नहीं करेंगे
काबुल में हुए बम धमाके में 13 अमेरिकी सैनिकों की मौत हो गई है, जबकि 18 से अधिक घायल हैं। व्हाइट हाउस से मिली जानकारी के अनुसार इन शहीदों के सम्मान में 30 अगस्त की शाम तक अमेरिकी झंडा झुका रहेगा। काबुल धमाके पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा–हम माफ नहीं करेंगे। हम नहीं भूलेंगे। हम तुम्हें ढूंढेंगे और इसका हिसाब लेंगे।
बाइडन ने कहा कि हम अफगानिस्तान से अमेरिकी नागरिकों को निकालेंगे। हम अपने साथियों को यहां से निकालेंगे और हमारा मिशन जारी रहेगा। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने काबुल धमाके पर कहा कि इस तरह की दुखद घटना बिल्कुल नहीं होनी चाहिए थी। बता दें कि ट्रंप के शासनकाल में ही अमेरिका और तालिबान के बीच दोहा में समझौता हुआ था।
काबुल के हमलावर का पाकिस्तान के जलालाबाद और रावलपिंडी कनेक्शन
काबुल एयरपोर्ट पर फिदायीन हमले की जड़ पाकिस्तान में ही है। 100 से ज्यादा लोगों की जान लेने वाले इन धमाकों की जिम्मेदारी ISIS खुरासान यानी ISIS-K ने ली है। इस आतंकी संगठन का चीफ है मावलावी अब्दुल्ला उर्फ असलम फारूकी। फारूकी पाकिस्तानी नागरिक है और खुरासान का चीफ बनने का सफर उसने वहीं से शुरू किया। फारूकी ने पूछताछ में कबूल किया कि वह पहले लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा रहा था, जो हक्कानी नेटवर्क के साथ काबुल और जलालाबाद से ऑपरेट करता है। वो ISIS-K में आने से पहले तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान से जुड़ा। इसके बाद मावलावी जिया-उल-हक उर्फ अबू ओमर खोरासानी के बाद ISIS-K का चीफ बना। फारूकी पाकिस्तान के ख़ैबर-पख्तूनख्वा प्रांत के ओराकजई जिले का रहने वाला है। वो मोमाजई कबीले से ताल्लुक रखता है। अफगानिस्तानी एजेंसियों ने उसे चार पाकिस्तानी नागरिकों के साथ गिरफ्तार किया था। फारूकी ने एजेंसियों को बताया था कि ISIS-K की जड़ें पाकिस्तान के रावलपिंडी में ही हैं। इसके बाद उसे बगराम जेल भेज दिया गया था, लेकिन अफगानिस्तान में तालिबानी हुकूमत होने के बाद दूसरे कैदियों की तरह फारूकी को भी रिहा कर दिया गया था।
पाकिस्तान चाहता था फारूकी उसे हैंडओवर किया जाए
फारूकी के बारे में दिलचस्प बात यह है कि जब भारत ने उससे पूछताछ की अपील की थी तो उसे ठुकरा दिया गया था, लेकिन पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने अफगानी राजनयिक को बुलाकर फारूकी को हैंडओवर करने की मांग की थी। माना जा रहा है कि पाकिस्तान को इस बात का डर था कि फारूकी अफगान और दूसरी एजेंसियों की पूछताछ में पाकिस्तान से अपने लिंक के बारे में सबकुछ उगल देगा।
काबुल में गुरुद्वारे पर हमले के पीछे भी इसी ISIS-K चीफ का था हाथ
27 मार्च 2020 को काबुल गुरुद्वारे पर भी ब्लास्ट किया गया था। इस हमले में 26 अफगान सिख और एक भारतीय सिख की मौत हुई थी। इसके बाद 4 अप्रैल 2020 को अफगान नेशनल सिक्योरिटी डायरेक्टरेट (NDS) ने नांगरहार प्रांत से फारूकी को गिरफ्तार किया था। अफगानी एजेंसियों के मुताबिक, इस हमले में फारूकी का ही हाथ था।