ग्वालियर, 21 अगस्त। दतिया जिले के गोदन थाना क्षेत्र से 16 साल पहले हुए अपहरण के एक मामले में आरोपी बनाए गए पांच लोगों को अब हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है। सेशन कोर्ट ने इन सभी को को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने दोषमुक्त किए गए सभी पांच आरोपियों को मुआवजे के रूप में तीन-तीन लाख रुपए दिए जाने के भी आदेश किए हैं।

शासन यह राशि तत्कालीन थाना प्रभारी गोदन राघवेंद्र सिंह एवं अपहर्ता रामप्रकाश और उसके भाई एवं फरियादी मनोहर सिंह से भी वसूल सकता है। हाईकोर्ट ने इस मामले में गोंदन के तत्कालीन थाना प्रभारी रहे राघवेंद्र सिंह के खिलाफ टिप्पणी करते हुए कहा कि अपहरण के मामले में न तो गंभीरता से विवेचना की गई न ही मुल्जिमों की फरियादी से शिनाख्त ही कराई गई। पुलिस की पूरी  कहानी में तमाम झोल पाए गए। जिन पांच लोगों को पुलिस ने आरोपी बनाया था उनके खिलाफ अपहरण के पुख्ता प्रमाण नहीं है। अपहृत रामप्रकाश ने फिरौती के रूप में 10 लाख रुपए चुकाने का दावा किया था। जबकि रामप्रकाश के भाई और गोंदन पुलिस थाने के तत्कालीन प्रभारी ने एक लाख फिरौती का दावा किया था। हाईकोर्ट में पुलिस यह भी साबित नहीं कर सकी कि किस व्यक्ति के सामने फिरौती की रकम दी गई।

रामप्रकाश ने दावा किया था कि वह खुद ही भाग कर पुलिस के पास पहुंचा था जबकि पुलिस का दावा था कि उसे भगुवापुरा के जंगल से मुक्त कराया गया है। पुलिस ने रामप्रकाश को रखे जाने वाले स्थान का मौका नक्शा भी नहीं बनवाया था। दावे के मुताबिक रामप्रकाश को नौ अगस्त 2005 को भिटारी गांव के जंगल से उस समय अगवा किया गया था जब वह अपने मवेशियों को चराने गया हुआ था, और उसे 13 दिन तक रतनगढ़ के जंगल में रखा गया था। इस मामले में पुलिस ने सुरेश ढीमर राजेश बरार कैलाश ढीमर और रामचरण के खिलाफ अपहरण का मामला दर्ज किया था।

बाइट शोभेन्द्र तिवारी… आरोपियों के अधिवक्ता हाई कोर्ट ग्वालियर

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