ग्वालियर, 12 अगस्त। शहर में कोरोना संक्रमण से राहत है, गिने-चुने सक्रिय मरीज हैं, उनका इलाज अचछी तरह हो रहा है। नए COVID-19 मरीजों की आमद भी नगण्य ही रह गई है। शहर कोरोना के क़हर के बाद राहत की सांसे भर ही रहा ता कि इसके कुछ दुष्परिणाम बच्चों में दिखाई देने लगे हैं। विगत दिनों शहर में करीब आठ बच्चों में ‘कावासाकी-सिंड्रोम’ नामक बीमारी के लक्षण पाए गए हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक अगर यह बीमारी बेकाबू हुई तो पीड़ित बच्चों के हृदय और लिवर पर प्रभाव पड़ता है। गनीमत है कि समय रहते बच्चों के परिजनों ने चिकित्सकीय परामर्श ले लिया, और बच्चे सुरक्षित रह सके।  

दरअसल कावासाकी सिंड्रोम उन बच्चों को अपनी चपेट में ले रहा है, जिनका कोई परिजन कोरोना का शिकार बना हो। कोरोना प्रभावित परिजन के संपर्क में आने पर बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता उन्हें कोरोना से बचा ले गई, लेकिन बच्चों में ‘कावासाकी-सिंड्रोम’ के लक्षण उत्पन्न हो गए। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.मनीष शर्मा के मुताबिक ‘कावासाकी-सिंड्रोम’ से फिलहाल किसी बच्चे के साथ अनहोनी नहीं हुई है, फिर भी स्वास्थ्य विभाग चौकन्ना है कोरोना संक्रमित रहे लोगों को आगाह कर दिया गया है। कोरोना प्रभावित परिवारों को हिदायत दी गई है कि किसी भी बच्चे में यदि खांसी-जुकाम बुखार की शिकायत होती है तो तुरंत ही चिकित्सीय परामर्श लिया जाए।

क्या है ‘कावासाकी-सिंड्रोम’? इसमें बीमारी में शरीर पर चकत्ते पड़ जाते हैं और सूजन के साथ दर्द होता है। मरीज में गंभीर ‘कावासाकी-सिंड्रोम’ के बाकी लक्षण नहीं दिखते हैं। कई बार यह भी देखा गया है कि बच्चे में सिर्फ कावासाकी-सिंड्रोम’ बीमारी के ही दो-तीन लक्षण होते हैं, जो कोरोना के लक्षणों से मिलते हैं, लेकिन टेस्ट कोरोना निगेटिव होता है। सबसे पहले ऐसे मामले अप्रैल 2020 में यूरोप और कास तौर पर यूके से आने शुरू हुए थे। अब भारत में भी अलग-अलग इलाकों में मिलते-जुलते मामले दिख रहे हैं।

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