ख़बर ख़बरों की डेस्क, 11 अगस्त। बचपन में भूतों की कहानियां सुनी होंगी, लेकिन बड़े होने पर वह सब बचपना ही लगने लगता है। ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों को ऐसा ही दृश्य जब अंतरिक्ष में देखने को मिला तो वह चौंक पड़े। पृथ्वी से करोड़ों प्रकाश वर्ष दूर ब्लैक-होल्स के पास पाथ-फाइंडर रेडियो-टेलिस्कोप पर कुछ थर-थराते पिंड दिखे जो बचपन की कल्पना के भूतों की आकृति से मिलते जुलते थे। इन्हें देख कर ऐसा लगा जैसे नाचते हुए प्रेत ब्लैक-होल में प्रवेश करने जा रहे हों। बाद में खोजबीन की गई तब पता चला कि ये क्या हैं। पाथ-फाइंडर रेडियो-टेलिस्कोप में नज़र आए हरे-नीले थिरकते हुए प्रेत….
ऑस्ट्रेलिया की वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ साइंस के प्रोफेसर और अंतरिक्ष विज्ञानी रे नॉरिस के अनुसार कि जब हमें ये आकृतियां नज़र आईं तो समझ में नहीं आया भूतों जैसी इन हरी-नीली थिरकती रहस्य क्या है। ये कहां हैं? इनके आसपास क्या है? इनका निर्माण कैसे हुआ और कब तक इसी तरह नाचती हुई दिखती रहेंगी।
रेडियो-गैलेक्सी और ब्लैक-होल के बीच फंसे इलेक्ट्रॉन-बादल बनाते हैं भूतों सी आकृतियां
हाल ही में कॉस्मोस मैग्जीन में प्रकाशित लेख में रे नॉरिस ने लिखा है कि दरअसल ये थिरकते हुए प्रेत रेडियो-गैलेक्सी और ब्लैक-होल के बीच फंसे इलेक्ट्रॉन के बादल हैं। जब ब्लैक-होल इलेक्ट्रॉन्स की लहर फेंकता है, तो वे आकाशगंगाओं के बीच बहने वाली हवा में फंसकर अलग-अलग तरह की आकृतियां बनाने लगते हैं। आप इन्हें कोई भी नाम दे सकते हैं, भूत-प्रेत, एलियन या कुछ और। नाचते हुए भूत’ की रिपोर्ट जल्द ही पब्लिकेशन ऑफ द एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी ऑफ ऑस्ट्रेलिया में भी प्रकाशित होने वाली है। नाचते हुए भूत और रेडियो के घेरे यानी ऑड रेडियो सर्किल्स बेहद दुर्लभ नजारे होते हैं और आमतौर पर अंतरिक्ष में नजर नहीं आते। वैज्ञानिकों ने ‘नाचते हुए भूत’ के आसपास के इलाके को IC5063 गैलेक्सी नाम दिया है। यह बहुत बड़ा रेडियो गैलैक्सी है, जिसके आकार को आज तक कोई वैज्ञानिक सही-सही नाप नहीं पाया है।