ग्वालियर, 09 अगस्त। मध्यप्रदेश में शिवपुरी जिले के पचावली गांव के पास रविवार को सिंध नदी में बहकर चांदी के सिक्के आ गए। ग्रामीणों में उफनती नदी से सिक्के निकालने की होड़ लग गई। पुलिस को करीब छह घंटे बाद सूचना मिली, मौके पर पुलिस के पहुंचते ही ग्रामीण नदी से निकलकर भाग गए। बाढ़ के खतरनाक बहाव के साथ उफनती सिंध में कूद जिंदगी दांव पर लगा रहे ग्रामीण युवकों को बचाने घाट पर पुलिस बल तैनात करना पड़ा। इसके बाद भी चांदी के सिक्कों की ख़ातिर ग्रामीणों की नदी में कूदने की लुका-छिपी सोमवार तक जारी रही। ग्रामीण युवक सिंध के दूसरे पड़ोसी घाटों पर रुपहले विक्टोरियन सिक्कों को तलाश रहे हैं। सिक्कों पर जारी होने का साल 1862 मुद्रित है। बाढ़ में बहे घर के सामान को निकालते हाथ लगा रुपहले सिक्कों से भरा मटका, 4-5 लोगों ने बांटे सिक्के….
पचावली गांव में सिंध नदी के घाट किनारे गोपाल दांगी का पुराना घर है। इस घर के पिछवाड़े की दीवार बाढ़ में ढह गई। गांव के युवक युवक रविवार सुबह करीब 6 बजे घर का सामान उठाने के लिए नदी में उतरे तो उनके हाथ चांदी के ये सिक्के लग गए। खबर पूरे गांव में आग की तरह फैल गई और लोग सिक्के लूटने के लिए नदी में गोते लगाने लगे। रन्नौद थाना पुलिस दोपहर 12 बजे पचावली पहुंची, तब तक लोग भाग गए। कुछ ग्रामीणों के मुताबिक गोपाल के बेटे हरदौल के हाथ काली मिट्टी का मटका लगा था, जिसे छिपा कर वह खुद गायब हो गया है। ग्रामीणों के अनुसार हरदौल के हाथ लगा सिक्कों से भरा मटका संभवत: बाढ़ में डूबे किसी घर या नदी किनारे की मिट्टी ढहने से बहकर आया होगा। इसे चार-पांच लोगों में बांटा, और फिर हरदौल मटका छिपा कर गायब हो गया है।