ग्वालियर, 29 जुलाई। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय कीग्वालियर खंडपीठ ने फांसी की सजा पाए दुष्कर्म के आरोपी को राहत देते हुए सजा को उम्र कैद में तब्दील कर दिया है। हालांकि, उच्च न्यायालय ने शर्त भी राहत के लिए शर्त भी लगाई है। उच्च न्यायालय की शर्त है कि आरोपी को जीवन की अंतिम सांस तक कारावास में ही रहना होगा, इस दौरान उसे न जमानत दी जाएगी और न ही पैरोल।
जिला एवं सत्र न्यायालय ने दो साल पहले चचेरी आठ वर्ष की मासूम बहन के साथ दुष्कर्म कर उसकी हत्या करने वाले मनोज प्रजापति को फांसी की सजा सुनाई थी। स्मरण हो कि ग्वालियर जिले में पनिहार थाना क्षेत्र के नया गांव की आठ वर्ष की बालिका 4 जुलाई 2017 को विद्यालय गई थी। देर शाम तक घर वापस नहीं आई तब माता-पिता ने बालिका को तलाशा, लेकिन वह कहीं नहीं मिली। अगले ही दिन 5 जुलाई को बालिका का शव विद्यालय के पीछे एक खंडहर नुमा पाटौर में मिला था। पड़ोस में रहने वाले भीम नामक युवक ने बालिका को आखरी बार मनोज प्रजापति के साथ देखा था। इसी आधार पर पुलिस ने बालिका के चचेरे बाई से कड़ाई की तो उसने अपना जुर्म कबूल लिया। घटनास्थल पर मनोज की टीशर्ट का बटन और बाल भी मिले थे। जिला एवं सत्र न्यायालय ने मई 2019 में सुबूत और गवाहों के बयानों के आधार पर आरोपी को फांसी की सजा सुनाई थी।
जिला न्यायालय ने सजा को कंफर्म करने के लिए उच्च न्यायालय भेजा था। इस बीच आरोपी ने भी उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी। अपील पर सुनवाई करते हुए जस्टिस जीएस आहलूवालिया और जस्टिस राजीव श्रीवास्तव की युगल पीठ ने उसकी सजा को आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया। सजा बदलने का कारण यह बताया गया है कि आरोपी की उम्र महज 22 साल है और उसके विरुद्ध पहले कभी किसी भी तरह का अपराध न दर्ज हुआ न सुनाई दिया। सजा में बदलाव की राहत के साथ युगल पीठ ने टिप्पणी की है,कि आरोपी ने रिश्तों को तार-तार करने वाली घटना को अंजाम दिया है। घटना के बाद सामान्य सा व्यवहार कर रहा था। पछतावा भी नहीं था, इसलिए उसे अंतिम सांस तक जेल में रखा जाए।
सुबह स्कूल के लिए निकली 8 वर्ष की मासूम, दूसरे दिन मिला रक्त रंजित शव
पनिहार के नयागांव की आठ वर्ष की तीसरी कक्षा की विद्यार्थी 4 जुलाई 2017 को सुबह 11 बजे गांव के शासकीय प्राथमिक विद्यालय के लिए घर से निकली थी। शाम 4 बजे स्कूल की छुट्टी के बाद जब वह घर नहीं पहुंची। परिजन ने उसकी तलाश शुरू की तो स्कूल कक्षा की डेस्क पर उसका बैग और टिफिन रखा मिला था। स्कूल सूत्रों ने बताया था कि अपरांह चार बजे तक बालिका को स्कूल में देखा भी गया था। इसके बाद परिजन ने स्कूल और घर के बीच एक किलोमीटर के रास्ते पर कई बार तलाश किया। पर कुछ पता नहीं चला और परिजन पनिहार थाने पहुंचे। बच्ची के इस तरह लापता होने को पुलिस ने गंभीरता से लिया और तलाश शुरू की, लेकिन देर रात तक उसका कुछ पता नहीं लगा।
पुलिस को 13 घंटे बाद 5 जुलाई 2017 को सुबह 5 बजे लापता के स्कूल और घर के रास्ते के बीच रामप्रसाद प्रजापति की खाली पाटौर में मासूम का शव पड़ा मिला था। पुलिस ने घटना स्थल की जांच की। प्रारंभिक छानबीन में बच्ची के गले पर कसने और दुष्कर्म के सबूत मिले थे।
चचेरे भाई मनोज ने नशे की हालत में बालिका से दुष्कर्म किया और मार डाला
मासूम को दुष्कर्म कर मार डालने वाला चचेरा भाई मनोज प्रजापति निकला है। बच्ची के साथ दुष्कर्म करने और उसकी हत्या करने के बाद आरोपी 13 घंटे तक मासूम की तलाश में सहयोग करता रहा। करने का दिखावा करता रहा। बार-बार बच्ची के पिता के साथ थाने आता रहा था। इसी दौरान उसकी शर्ट का एक बटन टूटा होना और चेहरे पर नाखून के निशान से पुलिस को संदेह हुआ था। उसकी शर्ट से मैच करता हुआ बटन पुलिस को स्पॉट पर मिला था। पोस्टमॉर्टम के दौरान डॉक्टर ने बच्ची के नाखून में खरोंची गई त्वचा भी पाई गई थी। इन आधारों पर मनोज प्रजापति से कड़ाई से पूछताच की गई तो उसने चचेरी बहन के साथ नशे की हालत में दुष्कर्म करने और हत्या करने की बात कुबूल कर ली थी। मनोज प्रजापति को विशेष सत्र न्यायालय ने 8 मई 2019 को दुष्कर्म, हत्या व पॉक्सो एक्ट में फांसी की सजा सुनाई थी।