ग्वालियर, 26 जुलाई। अंचल की स्वास्थ्य सेवाओं के उन्नयन के लिए देखे गए सपने के साकार होने से पहले ही विवादों का ग्रहण छा गया है। ग्वालियर पॉटरीज की जमीन पर बन रहे हजार बिस्तरों वाले अस्पताल में अब निर्माण करने वाली गुजरात की जेपी स्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को काम किए बिना ही करीब चार करोड़ से भी ज्यादा का अतिरिक्त भुगतान कर दिया गया है। यह घोटाला विगत दिनों ही सुर्खियों में आया था। इसके बाद से जिले के प्रभारी मंत्री तुलसीराम सिलावट और लोक निर्माण विभाग के मंत्री गोपाल भार्गव ने इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य अगस्त में कराना चाहते हैं, पहले चरण का शुभारंभ, खुद एडीशनल प्रोजेक्ट ऑफीसर ने की है घोटाले की शिकायत….
पीआईयू (प्रोजेक्ट इंप्लीमेंटेशन यूनिट) के एडीशनल प्रोजेक्ट डायरेक्टर वीके आरव इन दिनों ग्वालियर में डेरा डाले हुए हैं। वह पीआईयू के अधिकारियों लोक निर्माण विभाग के अफसरों और अस्पताल प्रबंधन के बीच बैठकें कर मामले की वस्तुस्थिति जानने के प्रयास में हैं। सोमवार 26 जुलाई को अतिरिक्त परियोजना संचालक आरव अपनी रिपोर्ट भोपाल भेजेंगे। गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने हजार बिस्तरों वाले अस्पताल के पहले चरण के तहत करीब 500 बिस्तरों के अस्पताल को जल्द ही पूरा करने के निर्देश दिए हैं। कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर को देखते हुए अस्पताल का निर्माण भी जल्द किए जाने का रणनीतिक बदलाव किया गया था। लेकिन, इस बीच पीआईयू के सब इंजीनियर पीएन रायपुरिया ने चार पृष्ठों की शिकायत वरिष्ठ अधिकारियों को भेजी है। शिकायत में बताया गया है कि किस तरह से अनियमितता और भ्रष्टाचार करते हुए कार्य किए बिना ही करीब र्3.85 करोड़ का भुगतान जेपी स्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को किया गया है। खास बात यह है कि पीएन रायपुरिया के मार्ग निर्देशन में ही करीब 338 करोड़ की लागत से बन रहे इस अस्पताल का निर्माण किया जा रहा है। इसलिए उनके द्वारा की गई शिकायत से अस्पताल प्रबंधन लोकनिर्माण विभाग और पीआईयू के वरिष्ठ अफसर कटघरे में खड़े हो गए हैं।
विधानसभा में उठाऊंगा मामला–कांग्रेस विधायक डॉ.सतीश सिकरवार
इस संबंध में चर्चा करने कोई भी अफसर तैयार नहीं है, हालांकि कांग्रेस विधायक डॉ.सतीश सिकरवार ने अस्पताल निर्माण में भारी अनियमितता का आरोप लगाते हुए बताया कि कंपनी ने अव्वल तो गैरकानूनी तरीके से चंबल अभयारण्य से लाई गई रेत का इस्तेमाल किया गया है, ऊपर से यह रेत प्लास्टर के लिए बिल्कुल भी मुफीद नहीं है। इसके अलावा जंग लगे सरिए भी अस्पताल के निर्माण में उपयोग में लाए गए हैं। विधायक डॉ.सतीश ने बताया कि समय-समय पर शिकायत की जाती रही है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई है। विधायक डॉ.सतीश ने कहा कि इस मामले को विधानसभा में उठाने के साथ ही लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू में भी शिकायत करेंगे। कोविड प्रभारी मंत्री प्रद्यम्न सिंह तोमर ने आश्वासन दिया है कि इस मामले की जांच चल रही है जो भी दोषी होगा उसके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी।
परियोजना अधिकारी की शिकायत, काम किए बिना ही हुआ है भुगतान
- परियोजना अधिकारी पीएन रायपुरिया ने अपनी शिकायत में बताया है कि पैसे बचाने के लिए अस्पताल में गिट्टी की जगह मिट्टी से भराव कर दिया गया है। साथ ही भराव के बाद उस पर रोलर नहीं चलाया और न ही पानी का छिड़काव किया। इस कारण यह मिट्टी कभी भी धसक सकती है।
- इसी प्रकार अस्पताल की दीवारों का प्लास्टर 18 मिमी मोटाई का होना था, लेकिन ठेकेदार ने 12 मिमी का कर दिया। परियोजना संचालक को भेजी गई शिकायत में बताया गया है कि अब तक तीन करोड़ 85 लाख रुपये बगैर काम का भुगतान जेपी स्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को हो चुका है।
निर्माण में अब तक आरोपित घोटाले
- अस्पताल की जमीन पर मिट्टी खुदाई मशीन से कराई गई। इसमें एपीई (असिस्टेंट प्रोजेक्ट अधिकारी) प्रवीण नामदेव ने अतिरिक्त मिट्टी उठवा कर नौ लाख 51 हजार 223 रुपये का अतिरिक्त भुगतान कर दिया है।
- कंपनी को साइट पर भराव के कार्य में मुरम का उपयोग निर्माण स्थल पर किया जाना था, लेकिन कंपनी ने साइट की मिट्टी ही उठाकर भराव कर दिया। इसमें भी 20-20 सेमी मोटाई में भराव व कॉम्पेक्शन न कर एक ही बार में भर दिया गया और 49 लाख 41 हजार 529 रुपये का भुगतान कर दिया गया।
- छत की ऊंचाई अधिकारियों को ज्यादा दिखाकर 85 लाख 97 हजार 356 रुपये का अतिरिक्त भुगतान ठेकेदार को किया गया है।
- -अस्पताल के भवनों में 357 डोर फ्रेम लगाए गए हैं, इनमें 2,112 होल पास भवन में लगाए गए, लेकिन एपीई ने 3,330 नग दर्ज कर दिए। इसके साथ ही 198 अतिरिक्त डोर फ्रेम भी दर्ज कर। साथ ही 218 होल पास दर्ज किए गए, जो कंपनी ने लगाए ही नहीं हैं। इसमें र्104139 रुपये का अतिरिक्त भुगतान किया गया है।
- डोर फ्रेम की लंबाई 3036.50 मीटर दर्ज की गई है, जबकि निर्माण स्थल पर भवन में लगे डोर फ्रेम की लंबाई 2,073.20 मीटर है। इस तरह जेपी स्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को र्10,27,581 का अतिरिक्त लाभ दिया गया है।
- एपीई ने अस्पताल की दीवारों पर 12 एमएम प्लास्टर की जगह 18 एमएम प्लास्टर का माप पुस्तिका में दर्ज किया है। इस आधार पर कंपनी को 15 लाख रुपये का अतिरिक्त भुगतान किया गया है।
- कंस्ट्रक्शन कंपनी ने गैरकानूनी तौर पर चंबल का रेत प्लास्टर में लगाया है। जानकारों के मुताबिक चंबल रेत से प्लास्टर नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि इस मोटे रेत से बना प्लास्टर जल्दी झड़ जाता है।
- ठेकेदार ने रेजग पट्टा प्लास्टर (सीधा प्लास्टर) किया है, जबकि पुस्तिका में ऑन मोल्डिंग एंड कार्निश का आयटम दर्ज किया है। इस तरह कंपनी को र्983947 का अतिरिक्त भुगतान हुआ है।
- एज मोल्डिंग (मार्बल को गोल करना) का आयटम जोड़कर कंपनी को 21 लाख 86 हजार 156 रुपये का अतिरिक्त लाभ दिया गया, जबकि यह हुआ ही नहीं है।
- सादा ग्रेनाइट फर्श पत्थर के स्थान पर फ्लेम-फिनिश ग्रेनाइट का कार्य दर्ज किया गया है। इस तरह कंपनी को र्1.40 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है।
- जेपी स्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को लाभ पहुंचाने के लिए एपीई ने र्8,86,528 रुपये का आयटम दर्ज किया है, जबकि यह कार्य ही नहीं हुआ है।
338 करोड़ से तैयार होगा 1106 बेड का 3 ब्लॉक में फैला अस्पताल
ग्वालियर पॉटरीज और परिवहन विभाग की 7.75 हेक्टेयर जमीन पर तीन-ब्लॉक में यह अस्पताल बनाया जाएगा। इस जमीन पर दो फेज में सात मंजिला भवन के अस्पताल में कुल 1106 बिस्तरों की सुविधा होगी। अस्पताल के साथ ही कैंपस में 300 कमरों की धर्मशाला भी प्रस्तावित है जिसमें रियायती दरों पर मरीजों के अटेंडरों को कमरे दिए जाएंगे, सस्ती दरों पर भोजन व्यवस्था भी होगी। जेएएच कैंपस में डॉक्टर्स और अन्य स्टाफ के लिए 100 आवास बनाए जाएंगे। यह कैंपस ग्वालियर पॉटरीज के पार्श्व वाली जेएएच की भूमि पर तैयार होंगे। पहले चरण का काम जेपी स्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को 18 माह में पूरा करना था, जबकि पूरा अस्पताल कुल 30 माह में तैयार किया जाना था।