ग्वालियर, 25 जुलाई। कुटुंब न्यायालय में एक तलाकशुदा महिला ने आवेदन देकर शिकायत की है कि तलाक के वक्त तय हुआ था कि वह र्1,500 गुजारा भत्ता देगा, लेकिन तलाक के 16 साल बाद भी उसने कभी गुजारा भत्ता नहीं भेजा। तलाकशुदा ने अदालत से मांग की है कि उसे 16 साल का लंबित गुजारा भत्ता दिलाया जाए, साथ ही उस वक्त तय भत्ते की रकम को बढ़ा कर 25 हजार किया जाए ताकि वह किशोर हो चुके बेटे की परवरिश अच्छी तरह कर सके। गौरतलब है कि पति की कमाई तलाक के समय से सात गुनी हो चुकी है। आवेदन स्वीकार करते हुए अदालत ने पति को नोटिस जारी कर दिया है। पति का वेतन र्10 हजार था तो गुजारा भत्ता र्1,500 तय हुआ, वह भी नहीं दिया, अब वेतन र्71 हजार तो मांगा र्25 हजार गुजारा भत्ता….    

शहर के थाटीपुर इलाके में रहने वाली सपना का विवाह 18 फरवरी 1999 को राम कुमार से हुआ था। रामकुमार उस समय र्10 हजार प्रतिमाह की प्राइवेट नौकरी करता था। शादी के कुछ समय बाद ही पति-पत्नी में अलगाव हुआ और आखिरकार 2005 में तलाक हो गया। अदालत ने तलाक स्वीकार करते हुए राम कुमार को आदेश दिया था कि वह र्1,500 प्रतिमाह तलाक के ऐवज में भरण-पोषण के लिए देगा। पति रामकुमार तलाक के मामले के दौरान एक बार भी न्यायालय में उपस्थित नहीं हुआ। उसे नोटिस भी जारी किए गए आखिरकार कोर्ट ने एकतरफा आदेश जारी करते हुए तलाक मंजूर कर र्1,500 प्रतिमाह देने के रामकुमार को आदेश दिए।

रामकुमार ने 16 साल में तलाकशुदा पत्नी को न्यायालय का आदेशित गुजारा भत्ता एक बार भी नहीं दिया। रामकुमार ने तलाक के बाद पत्नी व बेटे की ओर मुड़कर भी नहीं देखा। तलाकशुदा भाई के सहारे मायके में रह रही थी। भाग्य की बिडंबना ने उससे भाई का सहारा भी छीन लिया। अब सपना की आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई है। अब उसने पति से भरण-पोषण के लिए अदालत से निर्धारित भत्ते की लंबित राशि चार लाख रुपए दिलवाने की मांग की है। सपना ने आवेदन में अदालत को जानकारी दी है कि तलाक के वक्त पति रामकुमार की कमाई 10 हजार प्रतिमाह थी जो अब सरकारी नौकरी लग जाने से 71 हजार प्रतिमाह हो चुकी है। इसके अलावा मां के साथ रह रहा दोनों का बेटा बालिग हो चुका है, उसकी परवरिश का खर्च भी बेहद बढ़ चुका है। लिहाजा भत्ता 25 हजार रुपए प्रतिमाह किया जाए। अदालत ने महिला की याचिका पर उसके भोपाल में पदस्थ लैब टेक्नीशियन पति को नोटिस जारी किए हैं।

मारपीट से तंग आकर दिया था तलाक का आवेदन

तलाकशुदा सपना के अधिवक्ता अजय द्विवेदी के मुताबिक महिला की शादी वर्ष 1999 में हुई थी। शादी के कुछ दिन बाद ही पति ने दहेज को लेकर मारपीट शुरू कर दी। इस पर महिला मायके लौट आई और पुलिस थाना मुरार में जाकर शिकायत दर्ज कराई। मामला पुलिस में पहुंचते ही पति ससुराल पहुंचा और पत्नी को समझा-बुझाकर घर ले आया। कुछ समय बाद महिला गर्भवती हुई तो डिलीवरी के लिए मायके चली गई। इस दौरान पति ने न तो देखभाल की न ही डिलीवरी का खर्चा उठाया। बाद में जब महिला ससुराल पहुंची तो पति ने फिर उसके साथ मारपीट की। महिला ने 2003 में पुलिस में रिपोर्ट लिखाने के साथ ही कुटुंब न्यायालय में तलाक का आवेदन भी दिया। कोर्ट ने 2005 में तलाक पर मुहर लगाते हुए पति को हर माह 1500 रुपए देने का आदेश दिया।

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