
ग्वालियर, 23 जुलाई। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय विभाग के सेवानिवृत्त कार्यपालन यंत्री केदारी लाल वैश्य को उनकी ग्रेच्युटी और पेंशन के भुगतान का ब्याज देने में देरी करने को मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने गंभीर अनियमितता माना है। उच्च न्यायलय ने इस मामले में पीएचई के प्रमुख सचिव मलय श्रीवास्तव पर पांच हजार रुपये का अर्थदंड लगाया है। जुर्माना भरने के लिए प्रमुख सचिव को एक महीने का समय दिया गया है।
मध्यप्रदेश के ग्वालियर निवासी और सतना से सेवानिवृत हुए कार्यपालन यंत्री केदारी लाल वैश्य को 2017 में सेवानिवृत्ति के बाद से पेंशन मिल रही है, न ग्रेच्युटी का भुगतान किया गया। विभाग की मनमानी के विरुद्ध उन्होंने लोक अदालत में अपना मामला लगाया था जिस पर लोक अदालत ने विगत आठ फरवरी 2020 को सेवानिवृत्त एग्जीक्यूटिव इंजीनियर को उनकी पेंशन और ग्रेच्युटी का ब्याज तुरंत भुगतान करने के आदेश दिए थे, लेकिन 1.5 साल से यह मामला ठंडे बस्ते में पड़ा रहा। आखिरकार उन्होंने उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दायर की। अवमानना याचिका के प्रत्युत्तर में लोक-स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा बताया गया कि रिटायर्ड इंजीनियर को उनके पेंशन और ग्रेच्यूटी के ब्याज का भुगतान कर दिया गया है, लेकिन यह कोर्ट के निर्देश के 1.5 साल बाद किया गया था। इसे मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने गंभीर लापरवाही माना और प्रमुख सचिव मलय श्रीवास्तव पर र्5000 का अर्थदंड लगाया।
केदारी लाल वैश्य लंबे अरसे तक नौकरी से बाहर रहे हैं। उन पर आय से अधिक संपत्ति का झूठा मामला दर्ज किया गया था। उच्चतम न्यायालय से केदारी लाल केस जीत चुके हैं, लेकिन उन्हें इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है। हालांकि कोर्ट के निर्देश पर उन्हें उनका लंबित भुगतान कर दिया गया है, लेकिन इसमें लंबा वक्त लगा है।