ग्वालियर, 23 जुलाई। पुलिस जिस धोखेबाज को नौ साल से तलाश रही थी, वह राजस्थान की राजधानी जयपुर से सटे एक गांव में शिक्षक बनकर धोखाधड़ी नहीं करने की शिक्षा दे रहा था। पुलिस उसे धोखेबाजी के तीन अलग-अलग मामलों में तलाश रही थी। गुरुवार को बेटे के दोस्त के घर परिवार को मिलने के लिए बुलाया गया था। पुलिस लगातार परिवार पर नजर रखे हुए थी, इसलिए जैसे ही आरोपी उनसे मिलने पहुंचा, पुलिस के हत्थे चढ़ गया। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर अदालत में पेश कर दिया। अदालत ने शुक्रवार को उसे तीनों मामलों में अलग-अलग र्10 हजार के निजी मुचलके भरवाकर जमानत दे दी है।
हजीरा थाना पुलिस को 11 साल से पाताली हनुमान के पास कांच मिल निवासी 56 वर्षीय रमेश सिंह भदौरिया की तलाश थी। उसने 11 साल पहले तीन लोगों ठगा था, उसने धोखा देकर पैसा हड़पा और फ़रार हौ गया था। रमेश सिंह ने फरियादी अजय शर्मा, मकसूद खान से 3 लाख रुपए लेकर उन्हें चेक दिए थे, लेकिन रकम कभी नहीं लौटाई। रमेश ने सतना निवासी रोहिणी प्रसाद गुप्ता के साथ भी ठेकेदारी में साझेदारी का झांसा देकर ठगी की थी।
तीनों ने कोर्ट में रमेश सिंह के विरुद्ध याचिका दायर की थी। पुलिस की जांच के दौरान ही नौ वर्ष पूर्व आरोपी रमेश सिंह अचानक गायब हो गया था। तभी से पुलिस उसकी तलाश कर रही थी। पुलिस ने एक-दो बार रमेश सिंह के घर के चक्कर लगाए तो घर वाले भी वहां से गायब हो गए। आरोपी ने पुलिस से बचने के लिए अपने परिवार का पता भी बदल दिया। परिवार गोला का मंदिर के प्रगति विहार में रहने लगा।
आरोपी को फरार हुए 9 साल बीत चुके थे और कोर्ट से उसकी गिरफ्तारी के लिए तीन स्थायी वारंट जारी हो चुके थे। हाल ही में अदालत ने इस मामले में CSP महाराजपुरा रवि भदौरिया, TI हजीरा आलोक सिंह परिहार ASI शैलेंद्र सिंह चौहान को आरोपी को जल्द पकड़ने की हिदायत दी थी। कुछ दिन पूर्व ASI शैलेंद्र सिंह चौहान को सूचना मिली कि आरोपी सुभाष नगर में अपने बेटे के दोस्त के घर आया है। सूचना मिलते हुए SI आंनद कुमार, ASI शैलेंद्र सिंह चौहान ने अपनी टीम के साथ पहले आरोपी के परिवार पर सतत नजर रखना शुरू की और आरोपी रमेश सिंह भदौरिया जैसे ही परिवार से मिलने पहुंचा, दबिश देकर उसे गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार कर उसे कोर्ट में पेश किया गया है।
फ़रारी के बाद जयपुर पहुंचा और बन गया शिक्षक
आरोपी रमेश सिंह परिवार को ग्वालियर के दूसरे ठिकाने पर स्थापित कर खुद राजस्थान आ गया। यहां उसने जयपुर से सटे एर निजी विद्यालय में शिक्षक की नौकरी कर ली। वह आराम से रह रहा था, लेकिन लंबं लॉकडाउन के बाद अनलॉक होते ही जब परिवार से मिलने की योजना बनाई तो पुलिस की नजरों में आ गया।