ग्वालियर, 15 जुलाई। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर खण्डपीठ ने सरकारी नौकरियों में तीन बच्चों के माता-पिता को अपात्र ठहराया है। इस संबंध में मध्यप्रदेश बीज प्रमाणीकरण संस्था के विरुद्ध एक अभ्यर्थी लक्ष्मण सिंह बघेल ने अपील की थी। ग्वालियर खण्डपीठ में इस अपील पर सुनवाई करते हुए न्यायधीश शील नागू औऱ आनंद पाठक की युगलपीठ ने कहा–अभ्यर्थी भले ही आवेदन के समय दो बच्चों के पिता थे, लेकिन नियुक्ति से पूर्व तीसरे बच्चे के पिता बन गए थे। इसलिए उन्हें मध्यप्रदेश सिविल सेवा अधिनियम-1961 के तहत नौकरी के लिए अपात्र माना जाएगा।
मध्यप्रदेश बीच प्रमाणीकरण संस्ता के अधिवक्ता अरुण कटारे ने बताया कि उच्च न्यायालय की युगल पीठ में लक्ष्मण सिंह बघेल की याचिका ख़ारिज हो जाने के बाद अब मध्यप्रदेश में नौकरी कर रहे ऐसे सभी महिला-पुरुषों के अपात्र माना जाएगा जिनके तीसरे बच्चे का जन्म 26 जनवरी 2001 के बाद हुआ है।
दरअसल व्यावसायिक परीक्षा मंडल ने सहायक बीज प्रमाणीकरण अधिकारी के 112 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया था। याचिकाकर्ता लक्ष्मण सिंह बघेल ने भी इन पदों के लिए आवेदन किया था। आवेदन की अंतिम तिथि 30 जून 2009 थी। उस समय याचिकाकर्ता के दो ही बच्चे थे। जबकि तीसरे बच्चा का जन्म 20 नवंबर 2009 को हुआ। लक्ष्मण सिंह की अपील थी कि आवेदन के समय याचिकाकर्ता के केवल दो ही बच्चे थे, इसलिए उसे सहायक बीज प्रमाणीकरण अधिकारी के पद के लिए अपात्र नहीं माना जा सकता। उच्च न्यायलय ने उनके तर्क को खारिज करते हुए एकल पीठ के आदेश को सही माना और अपील को खारिज कर दिया। गौरतलब है कि इससे पूर्व उच्च न्यायालय की एकलपीठ भी लक्ष्मण सिंह की अपील को खारिज कर चुकी थी।